लिज्जत पापड़ जिसका नाम और स्वाद लगभग सभी जानते होंगे। इसकी शुरुआत 6 दशक पहले 7 महिलाओं ने की थी।जिसके साथ आज हजारों महिलाएं काम कर रही है।लिज्जत पापड़ की बिक्री सिर्फ भारत ही नही बल्कि सिंगापुर से लेकर अमेरिका तक कई देशों में की जा रही है। वहीं अब लिज्जत पापड़ कहानी को बॉलीवुड बड़े पर्दे पर उतारने जा रहा है।
आज के समय में लिज्जत पापड़ मध्यमवर्गीय परिवारों के बीच अपनी एक खास जगह बना चुका है, परंतु क्या आपको पता है कि आज करोड़ों रुपये की कंपनी में तब्दील हो चुके इस ब्रांड की शुरुआत बेहद सरल और उमंग से भरी हुई थी। जहां आज इस ब्रांड के साथ लगभग 45 हज़ार से अधिक महिलाएं काम कर रही हैं। जिसकी शुरुआत केवल 7 महिलाओं ने की थी। बहुत ही कम पैसों के साथ शुरू किया गया ये उद्यम पिछले कई दशकों से इन महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बना रहा है । जानकारी के मुताबिक आज देश के तमाम हिस्सों में इस ब्रांड की 82 ब्रांच काम कर रही हैं।
इस पापड़ के निर्माण की नींव 15 मार्च 1959 में जसवंती बेन द्वारा रखी गई थी। इस ब्रांड की खासियत यह है कि इसके साथ काम करने वाली महिलाओं की स्किल को उनकी योग्यता के तौर पर देखा जाता है और शैक्षिक योग्यता इस पैमाने पर बिल्कुल नहीं है। यह ब्रांड एक कोऑपरेटिव की तरह काम करता है, जिसे ‘श्री महिला गृह उद्योग लिज्जत पापड़’ नाम से जाना जाता है। इस ब्रांड की शुरुआत 7 महिलाओं ने महज 80 रुपये की पूंजी के साथ की थी। मुंबई में ही सबसे पहली बार एक घर की छत पर पापड़ के 4 पैकेट तैयार किए गए थे। उस वर्ष लिज्जत पापड़ ब्रांड ने 6 हज़ार रुपये का राजस्व जुटाया था। वहीं साल 2002 में इसका टर्नओवर महज 10 करोड़ रुपये था जबकि इस ब्रांड ने 2018 में 8 सौ करोड़ रुपये का सालाना टर्नओवर हासिल किया था।
ऐसा नहीं है कि इस ब्रांड के साथ पुरुष काम ही नहीं कर रहे हैं, परंतु वह सिर्फ दुकान में सहायक और ड्राइवर जैसे पदों पर कार्यरत है। इस ब्रांड के साथ कार्यरत महिलाएं ब्रांच में जाकर दाल और मसालों का ताजा मिक्सचर लेकर घर चली जाती हैं और अपने घर से पापड़ तैयार करके ब्रांच में देती हैं ।आज इस ब्रांड के साथ काम करते हुए पापड़ निर्माण करने वाली महिलाएं हर महीने लगभग 12 हज़ार रुपये कमा रही हैं। अपने देश के साथ विदेशों में भी बिकने वाले इस पापड़ की कहानी को अब बॉलीवुड बड़े पर्दे पर उतारने जा रहा है।