हमारे इतिहास से हमें ऐसी बहुत सी चीजें मिलती है,जो आश्चर्यों से भरी हुई है।इन सभी चीजों के पीछे कोई न कोई रहस्य अवश्य छिपा होता है ।वैसे तो इन चीजों के बारे में वैज्ञानिक हमेशा शोध करते रहते है,परंतु कुछ ही ऐसी चीजें है,जिनके रहस्यों को वह खोज पाते है।आज हम बात कर रहे है भारत में बने एक ऐसे ही मंदिर की जो रहस्यमयी होने के साथ साथ आश्चर्यजनक भी है।
आश्चर्यजनक है ये मंदिर
इसका नाम लेपाक्षी मंदिर है जो आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में स्थित है । यह मंदिर हैंगिंग पिलर्स (हवा में झूलते पिलर्स) के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। इस मंदिर के 70 से भी ज्यादा खम्भे बिना किसी सहारे के खड़े हैं और मंदिर को संभाले हुए हैं। मंदिर में आने वाले भक्तों का मानना है कि इन पिलर्स के नीचे से अपना कपड़ा निकालने से सुख-समृद्धि मिलती है। जिसके बारे में बहुत से शोधकर्ताओं ने जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया परंतु वह अपने प्रयासों मेंH सफल न हो सके।
मांगी मुराद होती है पूरी
वहीं इस बारे में कुछ लोगों का मानना है कि मंदिर के बीचोबीच एक नृत्य मंडप है। जिसमें कुल 70 खम्भे मौजूद हैं। इन खंभों में से 69 खंभे वैसे ही हैं, जैसे होने चाहिए।मगर 1 खंभा दूसरों से एकदम अलग है,वह इसलिए क्योंकि ये खंभा हवा में है यानी इमारत की छत से जुड़ा है,लेकिन जमीन के कुछ सेंटीमीटर पहले ही खत्म हो गया।समय के साथ – साथ यह अजूबा एक मान्यता बन चुका है।इसके साथ ही ऐसा माना जाता है कि यदि कोई इंसान खंभे के इस पार से उस पार तक कोई कपड़ा ले जाए,तो उसकी मन मांगी मुराद पूरी हो जाती है।
मंदिर का निर्माण सन् 1583 में हुआ
कहते है हर प्राचीन मंदिर तथा उसके नाम के साथ ही कोई न कोई कथा अवश्य जुडी हुई होती है।वैसे ही इस मंदिर के बारे में भी कुछ कथाये प्रचलित है । कहा जाता है कि वनवास के दौरान भगवान श्रीराम,लक्ष्मण और माता सीता यहां आए थे।सीता का अपहरण कर रावण अपने साथ लंका लेकर जा रहा था,तभी पक्षीराज जटायु ने रावण से युद्ध किया और घायल हो कर इसी स्थान पर गिरे थे।बाद में जब श्रीराम सीता की तलाश में यहां पहुंचे तो उन्होंने ‘ले पाक्षी’ कहते हुए जटायु को अपने गले लगा लिया।बता दे कि ले पाक्षी एक तेलुगु शब्द है जिसका मतलब है ‘उठो पक्षी’। जिस वजह से इस मंदिर का नाम लेपाक्षी पड़ा।यह मंदिर भगवान शिव, विष्णु और वीरभद्र को समर्पित है।यहां तीनों भगवानों के अलग-अलग मंदिर भी मौजूद हैं।इसके साथ ही यहाँ पर एक बड़ी नागलिंग प्रतिमा मंदिर परिसर में लगी है,जो कि एक ही पत्थर से बनी है।इसको भारत की सबसे बड़ी नागलिंग प्रतिमा मानी जाता है। काले ग्रेनाइट पत्थर से बनी इस मूर्ति में एक शिवलिंग के ऊपर सात फन वाला नाग बैठा है।इसके साथ ही इस मंदिर के निर्माण को लेकर भी लोगों में मतभेद है । पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर को ऋषि अगस्त ने बनाया था। परंतु इतिहासकारों के मुताबिक इस मंदिर का निर्माण सन् 1583 में विजयनगर के राजा के लिए काम करने वाले दो भाईयों (विरुपन्ना और वीरन्ना) ने करवाया था।