News Desk (Geeta Arya) सरकार द्वारा तीनों कृषि कानूनों की वापसी के बाद भी किसानों का आंदोलन जारी है बता दें कि एक साल पूरा होने पर शुक्रवार को जहां सीमाओं पर कार्यक्रम आयोजित किए गए तो एमसपी की गारंटी, प्रदूषण संबंधी कानूनों के तहत किसानों पर जुर्माना न करने और बिजली संशोधन अधिनियम को खारिज करने सहित तमाम मांगों पर किसानों का संघर्ष जारी है। वही 29 नवंबर को प्रस्तावित किसानों के संसद कूच समेत किसान आंदोलन से जुड़े सभी फैसले शनिवार को संयुक्त किसान मोर्चा की होने वाली बैठक में किए जाने की उम्मीद है।
तीनों कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर न्यूनतम समर्थन मूल्य सहित दूसरी मांगों पर सुनवाई की मांग की है। और अब किसानों को सरकार की तरफ से दोबारा वार्ता के लिए बुलाए जाने का इंतजार है ताकि आंदोलन की दिशा और दशा तय की जा सके। किसानों को अभी तक सरकार की ओर से वार्ता के लिए कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिला है। पहले से किसानों ने 29 को संसद कूच के तहत शीतकालीन सत्र के दौरान रोजाना 500 ट्रैक्टर के साथ दिल्ली में प्रवेश करने की घोषणा की थी।
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मगर, किसान नेताओं का कहना है कि उनकी तरफ से यह एलान पहले किया गया था। आज होने वाली संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में एमएसपी, पराली के लिए कानून, बिजली संशोधन अधिनियम, किसानों को मुआवजा, मृत किसानों की याद में स्मारक बनाने और सभी राज्यों में आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मामले वापस लेने की मांग पूरी नहीं हुई है। इस बैठक में एमएसपी की गारंटी के लिए प्रारूप तय किए जाने की भी उम्मीद है ताकि सरकार की तरफ से इस दिशा में पहल होने के बाद किसान तत्काल इसे पेश कर सकें
सरकार से शेष मांगों पर किसानों को वार्ता का इंतजार
संयुक्त किसान मोर्चा के शिवकुमार शर्मा का कहना है कि तीनों कृषि कानूनों के साथ ही किसान एमएसपी की गारंटी की मांग करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने पिछले साल जिन मांगों पर हामी भर दी थी,उन्हें अब तक लागू नहीं किया गया है। करीब एक साल, चार महीने के दौरान आंदोलन में 700 से अधिक किसानों की जानें गईं। आश्रितों को मुआवजा देने और किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने सहित किसानों की और भी मांगे हैं। वार्ता की शुरुआत होने पर सभी पहलुओं पर बातचीत हो सकती है। मगर, किसानों की प्रमुख मांगों पर सुनवाई होने के बाद ही किसानों का आंदोलन के लिए आगे की रणनीति तय करेंगे।
सभी मांगे नहीं हुई पूरी,
संयुक्त किसान मोर्चा के डॉ. दर्शन पाल का कहना है कि किसानों में आंदोलन का एक साल पूरे होने की खुशी है। पूरी दुनिया और देश किसानों के आंदोलन के समर्थन में है। साथ ही उन्होंने कहा सरकार ने तीनों कानून वापस लेने की तो घोषणा कर दी है मगर मोर्चा के मांग पत्र में छह मांगे हैं। सभी मांगों पर सुनवाई के बाद ही किसान आंदोलन की दिशा तय होगी। आंदोलन का एक साल पूरा होने पर देश के अलग अलग हिस्सों से हजारों की संख्या में किसान फिर इकट्ठा हो रहे हैं। 29 को किसानों के संसद कूच पर शनिवार को होने वाली बैठक में अंतिम निर्णय लिया जाएगा। कूच की घोषणा तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने से पहले की गई थी।