बिहार :- मिथिला की मिट्टी ने अपनी प्रतिभा का लोहा बिहार ही नहीं पूरे विश्व भर में मनवाया हैं। इसी कड़ी में अब मिथिला के दरभंगा जिले के जाले प्रखंड की रतनपुर गांव निवासी 32 वर्षीय मुकुंद ठाकुर का नाम जुड़ गया हैं जो चंद्रयान- 2 के सफल प्रक्षेपण में अहम भूमिका निभाई है। मुकुंद ठाकुर पिता-सैनिक श्रीराम ठाकुर के इकलौते पुत्र है। इस मिशन में उसकी भूमिका पर पूरे जिले के लोग गौरवान्वित हैं।
मुकुंद के पिता श्रीराम ठाकुर ने बताया कि चंद्रयान- 2 के चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने की सफलता सेटेलाइट कंपोनेंट की स्टडी और रॉकेट बनाने से पूर्व उसकी टेस्टिंग से लेकर उसके सफल प्रक्षेपण तक की तकनीकी खराबी को दूर करने की
थी। इसरो में यह उसकी दूसरी कामयाबी है। इससे पहले मुकुंद इसरो के मंगलयान प्रोजेक्ट पर भी काम कर चुका है। इसमें वह सिस्टम इंटीग्रिशन ग्रुप का सदस्य था।
मुकुंद के पिता के अनुसार उसे तीन मल्टीनेशनल कंपनियों में नौकरी का ऑफर मिला था, पर उसने इन्हें ठुकरा कर इसरो जॉइन कर लिया। मुकुंद की मां का नाम मृदुला देवी है। मुकंद ने मुजफ्फरपुर की रिंकी कुमारी से शादी की है। उसे चार वर्ष की एक पुत्री है।
मुकुंद ने झारखंड के चाईबासा के हाता स्थित नवोदय विद्यालय से वर्ष 2002 में मैट्रिक की परीक्षा पास की। जमशेदपुर को ऑपरेटिव कॉलेज से उसने आईएससी की परीक्षा पास की। वेस्ट बंगाल से बीटेक करने के बाद आईआईटी खड़गपुर में एडमिशन लिया। इसी दौरान उसने इसरो जॉइन कर लिया, जिस कारण उसकी एमटेक की पढ़ाई पूरी नहीं हो पायी।
मुकुंद के पिता ने आर्मी से रिटायर होने के बाद टाटा स्टील कंपनी में सीनियर सब इंस्पेक्टर (सुरक्षा ) के पद पर ज्वाइन किया। वहां से रिटायर होने के बाद वर्तमान में वे जमशेदपुर के सिद्धगोड़ा में मकान बनाकर रह रहे हैं। जिस दिन चंद्रयान-2 की लान्चिंग हो रही थी उस दिन उसके पिताजी हरिद्वार में ईश्वर की आराधना कर मिशन की सफलता की कामना कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उनका पुत्र मिशन चंद्रयान- 2 की टीम का हिस्सा है, इस पर उन्हें गर्व है।
दरभंगा से वरुण ठाकुर
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