आज ही के दिन यानि 12 जून 1964 में साजिश का आरोप लगाकर नेल्सन मंडेला को उम्र कैद की सजा दी गई थी। उनको 27 वर्षों तक जेल में रखा गया फिर 1990 में उनकी रिहाई हुई और 1994 में वह दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति बने। नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रीका के प्रथम अश्वेत राष्ट्रपति बने थे। उन्होंने अपनी ज़िंदगी के 27 वर्ष रॉबेन द्वीप के कारागार में रंगभेद नीति के ख़िलाफ़ लड़ते हुए बिताए। नेल्सन मंडेला अब्राहम लिंकन, मार्टिन लूथर किंग और गाँधी जी के विचारो पर चलने वाले व्यक्ति थे। उन्हें लोग प्यार से मदीबा बुलाते थे।
एक नज़र उनके प्रारंभिक जीवन के ऊपर :-
नेल्सन मंडेला का जन्म दक्षिण अफ्रीका में वासा नदी के किनारे ट्रांस्की के मावेज़ों गांव में 18 जुलाई 1918 को हुआ था। वे अपनी माँ नोसकेनी की प्रथम और पिता के 13 संतानों में तीसरे थे। मंडेला के पिता हेनरी म्वेजो कस्बे के जनजातीय सरदार थे। स्थानीय भाषा में सरदार के बेटे को मंडेला कहते थे, जिससे उन्हें अपना उपनाम मिला। उनके पिता ने इन्हें ‘रोलिह्लाला’ प्रथम नाम दिया था।
राजनीति सफर :-
1951 में नेल्सन को ‘यूथ कांग्रेस’ का अध्यक्ष चुन लिया गया। नेल्सन ने अपने लोगों को क़ानूनी लड़ाई लड़ने के लिए 1952 में एक क़ानूनी फ़र्म की स्थापना की। 1961 में मंडेला और उनके कुछ मित्रों के विरुद्ध देशद्रोह का मुकदमा चला परन्तु उसमें उन्हें निर्दोष माना गया। 5 अगस्त 1962 को उन्हें मजदूरों को हड़ताल के लिये उकसाने और बिना अनुमति देश छोड़ने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया। उन पर मुकदमा चला और 12 जुलाई 1964 को उन्हें उम्रकैद की सजा सुनायी गयी। जीवन के 27 वर्ष कारागार में बिताने के बाद अन्ततः 11 फ़रवरी 1990 को उनकी रिहाई हुई। रिहाई के बाद समझौते और शान्ति की नीति द्वारा उन्होंने एक लोकतान्त्रिक एवं बहुजातीय अफ्रीका की नींव रखी। 1994 में दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति बने। उन्होंने कभी हार नहीं मानी न ही अपने समर्थकों को मानने दी।
भारत सरकार ने साल 1990 में उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया। मंडेला, भारत रत्न पाने वाले पहले विदेशी हैं। साल 2009 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने उनके जन्मदिन 18 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय ‘मंडेला दिवस’ के रूप में घोषित कर दिया।
लंबी बीमारी के बाद नेल्सन मंडेला का निधन 3 दिसंबर 2013 को 95 वर्ष की उम्र में हुआ।