इस 26 जनवरी बहुत से लोगो को पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। लेकिन इसमे एक खास नाम भी है । आपको बता दें कि इसमे लांस नायक नजीर वानी है जो कि एक समय पर खुद आतंकी हुआ करते थे और बाद में वो सेना में भर्ती हो गए थे।
जम्मू-कश्मीर में एक ऑपरेशन के दौरान लांस नायक शहिद हो गए थे, मरने से पहले शहिद नायक ने 6 आतंकी को मार गिराया था।अशोक चक्र भारत का शांति के समय का सबसे ऊँचा वीरता का पदक है। यह सम्मान सैनिकों और असैनिकों को असाधारण वीरता, शूरता या बलिदान के लिए दिया जाता है। यह मरणोपरान्त भी दिया जा सकता है। अशोक चक्र राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाता है।
नजीर वानी ने 162 टेरिटोरियल आर्मी बटालियन ज्वाइन किया था। उन्हें दो बार सेना मेडल भी मिल चुका है। उनकी शहादत के बाद परिवार ही नहीं पूरे गांव ने उन्हें नम आंखों से विदाई दी थी। बता दें कि अशोक चक्र शांति के समय सेना की ओर से दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है। इस साल कीर्ति चक्र के लिए चार जवानों और शौर्य चक्र के लिए 12 जवानों का चयन किया गया है।
जानिए आतंक से सेना तक का सफर
हमारे देश में ऐसे कई महान शख्स हैं, जिन्होंने गलत रास्ता छोड़ सच्चाई और ईमानदारी का रास्ता चुना। इसके बाद वे उस मुकाम पर पहुंच गए, जहां वे दूसरों के लिए प्रेरणा का प्रतिक बन गए। नजीर वानी की जिंदगी भी ऐसे ही कई उतार-चढ़ाव से गुजरी।
एक समय नजीर वानी एक आतंकी थे। लेकिन कुछ समय बाद उनको यह अहसास हुआ कि वह जिस रास्ते पर चल रहे हैं, वो गलत रास्ता है। इसके बाद नजीर वानी आतंक का रास्ता छोड़कर देश की सेवा में जुट गए। अब एक आतंकी से देश के लिए जान न्यौछावर करने वाले नजीर वानी आने वाली कई पीढि़यों को सेना में जाने के लिए प्रेरित करते रहेंगे।