रेलवे गार्ड-लोको पायलट को उठाना पड़ेगा कई किलो वजन
कोरोना से होने वाले नुक़सान की भरपाई के लिए Cost cutting पर जुटी रेलवे अब निजीकरण पर भी ज़्यादा ज़ोर दे रही है।
इसके मद्देनज़र, रेलवे के गार्ड व इंजन चालक को मिलने वाले लाइन बॉक्स को लेकर विवाद गहराने लगा है। रेल प्रशासन ने 7 अगस्त को लाइन बॉक्स बन्द काटने का निर्णय लिया, जिसका रनिंग कर्मचारियों ने विरोध शुरू कर दिया। अब तक दो बार कर्मचारी संगठन व रेल प्रशासन की बात हो चुकी है लेकिन मामले का समाधान नहीं हुआ है। अब 25 अगस्त को फिर से बैठक होगी।
क्या है कारण
भारतीय रेल में लाइन बॉक्स रेलवे की पहचान रहा है अब रेलवे इस बॉक्स को बंद कर रही है। रेलवे ने एक जोन में इसे बंद भी कर दिया है। दरअसल लाइन बॉक्स रेलवे के गार्ड और चालक को मिलने वाला स्टील का काला बक्सा है जो प्लेट फोर्म पर ट्रेन आते समय चढ़ाया या उतारा जाता है। यह रेलवे की सालों पुरानी व्यवस्था है जो अब बंद हो रही है। इस बॉक्स में ट्रैन परिचालन के नियम की किताब, टेल बोर्ड, एचएस लैंप, टेल लैंप, फ़र्स्ट एड बॉक्स, डिटोनेटर या पटाके और जनरल बुक होती है। डिटोनेटर या पटाके कोहरे में दौरान उपयोग किये जाते हैं।
इस मामले पर रेलवे कर्मचारी खुलकर विरोध करने लगे हैं। कर्मचारी यूनियन का तर्क है कि लाइन बक्स के सामान की वजन लगभग 15 किलों होता है ऐसे में कर्मचारियों को अपने खाने पीने का सामान भी साथ ले जाना होती है जिससे उसके पास पहले से ही कई किलो वजन रहता है और जिन गार्ड और चालक की उम्र ज्यादा है वह अपने सामान के साथ लाइन बॉक्स के उपकरण कैसे ले जा सकेंगे। भारतीय रेल में अब गाड़ियों की लंबाई भी बढ़ती जा रही है तब गार्ड या चालक लॉबी तक कैसे अपने सामान को ले जा पायेंगे।
लाइन बॉक्स बंद होने के बाद अब गार्ड और चालक को सभी उपकरण और बुक्स अपने साथ ले जानी होगी। अभी तक इसके लिये रेलवे में बॉक्स बॉय की भर्ती होती थी। जो ट्रेन के आने के बाद लाइन बॉक्स को चढ़ाता या उतारकर लाता था। लेकिन रेलवे ने इस पद पर भी भर्ती बंद कर निजी ठेकेदार के हवाले कर दिया था।
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