दरभंगा में तालाबों को रातों- रात जेसीबी से भरा जा रहा हैं।
दरभंगा में भू-जल के स्त्रोत तालाबों का अस्तित्व संकट में हैं। सुप्रीमकोर्ट व जिला प्रशासन के आदेश के बाद भी तालाबों के संरक्षण के प्रति जिम्मेदार फिक्रमंद नहीं दिख रहे हैं। जहां कभी लबालब पानी भरा रहता था, आज उन तालाबों पर झाड़-झंखाड़ लहलहा रहे हैं तो वहीं अतिक्रमण से भी तालाब कराह रहे हैं। स्वच्छता को लेकर जहां जनप्रतिनिधि और जिले के अधिकारी गंभीर हैं। वहीं जल संरक्षण के लिए कोई भी आगे हाथ नहीं बढ़ा रहा हैं।
दरभंगा जिला वार्ड -9 पोखर चनहरिया रत्नोंपट्टी में ये पोखर तकरीबन 1 एकड़ में था। ग्रामीणों के अनुसार भू-माफिया नुनु पासवान जो इस तालाब के ऊपर पैनी नज़र डाले रखता है और दिन प्रति- दिन जेसीबी से तालाबों को भरा जा रहा हैं। मौके पर तालाब तो दिख रहे हैं, लेकिन अगर ऐसे ही रहा तो तालाबों का वजूद मिट जाएगा।
दरभंगा जिसको तालाबों का शहर कहा जाता था। लगभग 239 तालाब सरकारी अभिलेखों में दर्ज हैं। कागजों पर पानी से लबालब भरे तालाबों में से कई गांवों में ताल-तलैयों का निशान मिट चुका है। तालाबों को पाटकर मकान बना लिए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद तालाबों की तलाश कराई गई, लेकिन तालाबों पर से अतिक्रमण नहीं हटवाए गए। रत्नोंपट्टी का चनहरिया तालाब अतिक्रमण की जद में है। यहां के वार्ड -9 के पार्षद सुदिस कुमार महतो कहना हैं कि ‘तालाब को बचाने के लिए कई बार नगर आयुक्त को अर्जी दी गई। मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने सिर्फ खानापूर्ति की और चले गए। गांव के लोगों ने तालाब पर से अतिक्रमण हटाने के लिए नगर आयुक्त से गुहार लगाई है।’
आपको बता दे दिन- प्रति- दिन रत्नोंपट्टी का तालाब अतिक्रमण से सिकुड़ता जा रहा है। चारों ओर दबंग लोगों ने कब्जा कर लिया है। तालाब में झाड़-झंखाड़ लगे हैं। कूड़ा-करकट तालाब में फेंके जा रहे हैं। ग्रामीण कहते हैं कि ‘बरसात में पानी होने से तालाब की रौनक बढ़ जाती है। जलस्तर बराबर बना रहता है। तालाबों का अस्तित्व बचाने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। तालाब गांव की शान होते हैं। गांव में भू-जल के स्त्रोत होने से अग्निकांड जैसी घटनाओं से बचा जा सकता है।’
एक जमाना था कि तालाब में जानवर पानी पीने आते थे। चरवाहे अपने मवेशियों को गर्मी के मौसम में नहलाते थे, लेकिन यह सब गुजरे जमाने की बात हो गई है।
दरभंगा से वरुण ठाकुर