सेंट्रल डेस्क प्राची जैन: केंद्र सरकार ने विश्वविद्यालयों को नागरिकता संशोधन कानून 2019 पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों पर नजर रखने का आदेश दिया है। इस पूरे मामले पर कुलपति और रजिस्ट्रार से डिटेल रिपोर्ट मांगी गई है। विश्वविद्यालय प्रशासन को छात्रों व शिक्षकों के फेसबुक, व्हॉट्सएप, ट्विटर अकाउंट पर नजर रखने को कहा गया है। इसके अलावा अलावा सभाओं पर भी नजर रखनी होगी।
- सूत्रों के मुताबिक, मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से केंद्रीय विश्वविद्यालयों, आईआईटी, एनआईटी, आईआईआईटी समेत केंद्र सरकार के अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रमुख को नजर रखने का निर्देश है।
- इसके तहत कुलपति, कुलसचिव और निदेशक को कैंपस की हर दिन की रिपोर्ट बनाकर भेजनी है। जेएनयू, बीएचयू, इलाहाबाद, एएमयू, जामिया मिल्लिया इस्लामिया, जादवपुर, डीयू समेत अन्य विश्वविद्यालयों के प्रशासन को खास तौर पर ध्यान रखना होगा।
- इसके अलावा आईआईटी दिल्ली, मद्रास, कानुपर, गुवहाटी,बॉम्बे के अलावा एनआईटी श्रीनगर, आईआईएम शिलॉन्ग को भी खास तौर पर हिदायत दी गई है।
- विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों पर भी नजर रखनी होगी। क्योंकि सरकार को सूचना मिली है कि कुछ शिक्षक संघ छात्रों को आगे करके विरोध की आग भड़काना चाहते हैं।
फीस व सेमेस्टर परीक्षा बहिष्कार पर नाराजगी
सूत्रों के मुताबिक, सरकार विश्वविद्यालयों व उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्रों और शिक्षकों द्वारा फीस बढ़ोतरी और अन्य मुद्दों के चलते सेमेस्टर परीक्षा बहिष्कार की भी रिपोर्ट मांगी गई है। सरकार विश्वविद्यालयों के कामकाज से नाराज है। विश्वविद्यालयों को इसमें बताना होगा कि प्रशासन की छात्रों या शिक्षकों से किस प्रकार की बात हुई, कब क्या-क्या हुआ, समेत अन्य बातों को रिपोर्ट में शामिल करना है।
बहिष्कार के चलते प्रशासन द्वारा किस प्रकार के कदम उठाए गए हैं, उसकी भी जानकारी देनी है। सेमेस्टर परीक्षा बहिष्कार, आंदोलन और सर्दियों की छुट्टियों के चलते एकेडमिक कलेंडर पर जो असर पड़ा है, उस नुकसान की भरपाई करने के लिए प्रशासन को अपनी तैयारियां भी बतानी होंगी।
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