Written By : Amisha Gupta
हाल ही में, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के 16,000 से अधिक मदरसों के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जो राज्य के शैक्षिक ढांचे और धार्मिक संस्थानों पर व्यापक असर डाल सकता है।
यह फैसला उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अनुदानित मदरसों के नियमन और जांच प्रक्रिया को लेकर है। सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि सरकार को अपने कानूनों के तहत मदरसों के संचालन, शैक्षणिक गुणवत्ता और उनकी जांच का अधिकार है, ताकि सभी शैक्षणिक संस्थान उचित दिशा-निर्देशों का पालन करें।
क्या था मामला?
उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में एक आदेश जारी किया था जिसमें राज्य के अनुदानित मदरसों में नियमित निरीक्षण और उनकी कार्यप्रणाली का जायजा लेने का प्रावधान किया गया था। इस आदेश के तहत राज्य सरकार ने मदरसों को अपनी शिक्षा प्रणाली को मानकों के अनुरूप बनाने के निर्देश दिए, ताकि उनमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जा सके। इस आदेश का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि सभी शैक्षणिक संस्थान शिक्षण की गुणवत्ता और छात्रों के हित में कार्य करें।
मदरसों के एक समूह ने इस सरकारी आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसमें तर्क दिया गया कि यह आदेश धार्मिक स्वतंत्रता और संस्थानों की स्वायत्तता में हस्तक्षेप करता है। मदरसों का कहना था कि इस प्रकार के निरीक्षण और नियंत्रण से उनकी शैक्षिक स्वायत्तता प्रभावित होगी, जो उनके धार्मिक शिक्षण के मूल उद्देश्यों के खिलाफ है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला–
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि राज्य सरकार को यह अधिकार है कि वह शैक्षणिक संस्थानों का निरीक्षण करे, विशेष रूप से तब जब वे सरकार से अनुदान प्राप्त करते हैं। अदालत ने कहा कि अनुदानित संस्थानों को सार्वजनिक धन का उपयोग करते हुए पारदर्शिता और जवाबदेही का पालन करना चाहिए।
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि मदरसों में धार्मिक शिक्षा प्रदान करने का अधिकार बना रहेगा, लेकिन वे शिक्षा के न्यूनतम मानकों का पालन करने के लिए बाध्य होंगे।
यह फैसला इस दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है कि धार्मिक शिक्षा और शैक्षणिक गुणवत्ता एक साथ होनी चाहिए, ताकि छात्र केवल धार्मिक नहीं बल्कि व्यावहारिक जीवन के लिए भी तैयार हो सकें।
फैसले का असर———-
शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार: अब मदरसों को शिक्षण के न्यूनतम मानकों का पालन करना होगा, जिससे छात्रों को आधुनिक शिक्षा और रोजगार के अवसरों में भी प्रतिस्पर्धा करने का मौका मिलेगा सर्वेक्षण और निरीक्षण की बढ़ती प्रक्रिया: सरकार अब मदरसों में नियमित सर्वेक्षण और निरीक्षण करेगी ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि सभी संस्थान निर्धारित मानकों का पालन कर रहे हैं धार्मिक और आधुनिक शिक्षा का समन्वय: इस फैसले से मदरसों में धार्मिक शिक्षा के साथ आधुनिक विषयों जैसे गणित, विज्ञान, और सामाजिक अध्ययन को भी प्राथमिकता देने की जरूरत बढ़ जाएगी, ताकि छात्रों का समग्र विकास हो सके।स्वायत्तता पर प्रभाव: कुछ मदरसे इस फैसले को अपनी स्वायत्तता में हस्तक्षेप के रूप में देख सकते हैं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला स्पष्ट रूप से कहता है कि जब सरकारी धन का उपयोग हो रहा है, तब सरकार को गुणवत्ता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने का अधिकार है।