राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाग लिया। मोदी ने कहा, हमारे परिधान, हमारा पहनावा हमारी पहचान से जुड़ा रहा है। यहां भी देखिए भांति-भांति के पहनावे और देखते ही पता चलता है कि ये वहां से होंगे, वो यहां से होंगे, वो इस इलाके से आए होंगे। यानि हमारी एक विविधता हमानी पहचान है, और एक प्रकार से ये हमारी विविधता को सेलिब्रेट करने का भी ये अवसर है, और ये विविधता सबसे पहले हमारे कपड़ों में नजर आती है। देखते ही पता चलता है कुछ नया है, कुछ अलग है।
मोदी ने कहा, ये भी दुर्भाग्य रहा कि जो वस्त्र उद्योग पिछली शताब्दियों में इतना ताकतवर था, उसे आजादी के बाद फिर से सशक्त करने पर उतना जोर नहीं दिया गया। हालत तो ये थी कि खादी को भी मरणासन्न स्थिति में छोड़ दिया गया था। लोग खादी पहनने वालों को हीनभावना से देखने लगे थे। 2014 के बाद से हमारी सरकार, इस स्थिति और इस सोच को बदलने में जुटी है।
मोदी ने कहा, नौ साल पहले खादी और ग्रामोद्योग का कारोबार 25 हजार, 30 हजार करोड़ रुपए के आसपास ही था। आज ये एक लाख तीस हजार करोड़ रुपए से अधिक तक पहुंच चुका है। पिछले 9 वर्षों में ये जो अतिरिक्त 1 लाख करोड़ रुपए इस सेक्टर में आए हैं, ये पैसा कहां पहुंचा है? ये पैसा मेरे हथकरघा सेक्टर से जुड़े गरीब भाई-बहनों के पास गया है, ये पैसा गांवों में गया है, ये पैसा आदिवासियों के पास गया है। और आज जब नीति आयोग कहता है ना कि पिछले 5 साल में साढ़े तेरह करोड़ लोग भारत में गरीबी से बाहर निकले हैं। वो बाहर निकालने के काम में इसने भी अपनी भूमिका अदा की है।
मोदी ने अपील की, आज वोकल फॉर लोकल की भावना के साथ देशवासी स्वदेशी उत्पादों को हाथों-हाथ खरीद रहे हैं, ये एक जनआंदोलन बन गया है। और मैं सभी देशवासियों से एक बार फिर कहूंगा। आने वाले दिनों में रक्षाबंधन का पर्व आने वाला है, गणेश उत्सव आ रहा है, दशहरा, दीपावली, दुर्गापूजा। इन पर्वों पर हमें अपने स्वदेशी के संकल्प को दोहराना ही है। और ऐसा करके हम अपने जो हस्तशिलपी हैं, अपने बुनकर भाई-बहन हैं, हतकरघा की दुनिया से जुड़े लोग हैं उनकी बहुत बड़ी मदद करते हैं, और जब राखी के त्योहार में रक्षा के उस पर्व में मेरी बहन जो मुझे राखी बांधती है तो मैं तो रक्षा की बात करता हूं लेकिन मैं अगर उसको उपहार में किसी गरीब मां से हाथ से बनी हुई चीज देता हूं तो उस मां की रक्षा भी मैं करता हूं।