Breaking News
Home / धार्मिक / ऐसा मंदिर जहां भूख से दुबले हो जाते हैं श्रीकृष्ण

ऐसा मंदिर जहां भूख से दुबले हो जाते हैं श्रीकृष्ण

भगवान् श्री कृष्ण का हर रूप भक्तों को अलौकिक आनंद देता है, हर लीला में भक्त कान्हा को अपने जीवन से जुड़ा पाता है, ऐसा ही एक अलौकिक रूप केरल के एक प्राचीन मंदिर में है, जहां कृष्ण भगवान् को ना सिर्फ बहुत जोर भूख लगती है बल्कि, तत्काल भोजन न मिलने पर वे दुबले भी होने लगते है

यह विश्व का ऐसा अनोखा मंदिर है जो 24 घंटे में मात्र दो मिनट के लिए बंद होता है। यहां तक कि ग्रहण काल में भी मंदिर बंद नहीं किया जाता है।

कारण यह कि यहां विराजमान भगवान कृष्ण को हमेशा तीव्र भूख लगती है। भोग नहीं लगाया जाए तो उनका शरीर सूख जाता है। अतः उन्हें हमेशा भोग लगाया जाता है, ताकि उन्हें निरंतर भोजन मिलता रहे। साथ ही यहां आने वाले हर भक्त को भी प्रसादम् (प्रसाद) दिया जाता है। बिना प्रसाद लिये भक्त को यहां से जाने की अनुमति नहीं है। मान्यता है कि जो व्यक्ति इसका प्रसाद जीभ पर रख लेता है, उसे जीवन भर भूखा नहीं रहना पड़ता है। श्रीकृष्ण हमेशा उसकी देखरेख करते हैं।

डेढ़ हजार वर्ष पुराना मंदिर केरल के कोट्टायम जिले के तिरुवरप्पु में स्थित है। मान्यता के अनुसार कंस वध के बाद भगवान श्रीकृष्ण बुरी तरह से थक गए थे। भूख भी बहुत अधिक लगी हुई थी। उनका वही विग्रह इस मंदिर में है। इसलिए मंदिर सालों भर हर दिन मात्र खुला रहता है।
मंदिर बंद करने का समय दिन में 11.58 बजे है। उसे दो मिनट बाद ही ठीक 12 बजे खोल दिया जाता है। पुजारी को मंदिर के ताले की चाबी के साथ कुल्हाड़ी भी दी गई है। उसे निर्देश है कि ताला खुलने में विलंब हो तो उसे कुल्हाड़ी से तोड़ दिया जाए। ताकि भगवान को भोग लगने में तनिक भी विलंब न हो।

चूंकि यहां मौजूद भगवान के विग्रह को भूख बर्दाश्त नहीं है, इसलिए उनके भोग की विशेष व्यवस्था की गई है। उनको 10 बार नैवेद्यम (प्रसाद) अर्पित किया जाता है।

मंदिर खोले रखने की व्यवस्था आदि शंकराचार्य की है, पहले यह आम मंदिरों की तरह बंद होता था। विशेष रूप से ग्रहण काल में इसे बंद रखा जाता था। तब ग्रहण खत्म होते-होते भूख से उनका विग्रह रूप पूरी तरह सूख जाता था। कमर की पट्टी नीचे खिसक जाती थी।

एक बार उसी दौरान आदि शंकराचार्य मंदिर आए। उन्होंने भी यह स्थिति देखी। तब उन्होंने व्यवस्था दी कि ग्रहण काल में भी मंदिर को बंद नहीं किया जाए। तब से मंदिर बंद करने की परंपरा समाप्त हो गई।

भूख और भगवान के विग्रह के संबंध को हर दिन अभिषेकम के दौरान देखा जा सकता है। अभिषेकम में थोड़ा समय लगता है। उस दौरान उन्हें नैवेद्य नहीं चढ़ाया जा सकता है। अतः नित्य उस समय विग्रह का पहले सिर और फिर पूरा शरीर सूख जाता है। यह दृश्य अद्भुत और अकल्पनीय सा प्रतीत होता है।

News 10 India

News10india में आपका स्वागत है। देश विदेश की अन्य खबरों के लिए जुड़ें news10india.com से


WhatsApp पर न्यूज़ Updates पाने के लिए हमारे News10India WhatsApp Network Join करें।

About news

Check Also

बम-बम बोलबम के नारों से गूंजायमान हो गया दरभंगा का अलीनगर

देश भर में धूमधाम और हर्षोल्लास के संग मनाया गया महाशिवरात्रि का पावन त्योहार। दरभंगा …

Leave a Reply

Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com