जानिए क्या है ‘SWINE FLU’, कैसे करें इस खतरनाक बीमारी से बचाव
Ariba Naseem
January 19, 2019
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News Desk
हर किसी चीज की एक स्टेज होती है फिर वह जीवन चक्र हो या किसी काम की स्थिति। शुरूआती दौर में हर स्थिति गंभीर और कई बार असहज भी होती है। ठीक ऐसा ही किसी बीमारी में होता है। स्वाइन फ्लू के जीवन चक्र के बारे में बात करें तो आमातौर पर स्वाइन फ्लू का खतरा जान को कम होता है लेकिन एक खास स्टेज में पहुंचकर या फिर सही समय पर इलाज न कराने से खतरनाक भी साबित हो सकता है।
भारत में स्वाइन फ्लू के मामले बढ़ने की खबरें आ रही हैं। ऐसे में आपको इस बीमारी के लक्षण और इससे बचाव की जानकारी होनी चाहिए। एक रिसर्च से पता चला था की, एच1एन1 इंफ्लुएंजा यानि स्वाइन फ्लू पहली बार 2009 में अमेरिका से भारत में एक भीषण महामारी का रूप लेकर आया था।
जस्वाइन फ्लू का वायरस-
आमतौर पर यह बीमारी एच1एन1 वायरस के सहारे फैलती है लेकिन सूअर में इस बीमारी के कुछ और वायरस (एच1एन2, एच3एन1, एच3 एन2) भी होते हैं। कई बार ऐसा होता है कि सूअर में एक साथ इनमें से कई वायरस सक्रिय होते हैं जिससे उनके जीन में गुणात्मक परिवर्तन हो जाते हैं। दरअसल स्वाइन फ्लू सूअरों में होने वाला सांस संबंधी एक अत्यंत संक्रामक रोग है जो कई स्वाइन इंफ्लुएंजा वायरसों में से एक से फैलता है। आमतौर पर यह बीमारी सूअरों में ही होती है लेकिन कई बार सूअर के सीधे संपर्क में आने पर यह मनुष्य में भी फैल जाती है।
डॉक्टरों का कहना है कि स्वाइन फ्लू का इलाज न होने पर यह जानलेवा भी बन सकता है। खासतौर पर फेफड़े के रोगियों के लिए यह काफी खतरनाक हो सकता है। उन्होंने बताया कि छोटे बच्चों तथा बुजुर्गों में स्वाइन फ्लू आने की आशंका अधिक होती है। इसके अलावा कम प्रतिरोधक क्षमता और पहले से बीमार लोग भी इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। अगर कोई व्यक्ति लंबे समय से दवाएं ले रहा हो या उसका इलाज चल रहा हो, ऐसे व्यक्ति के लिए भी यह बीमारी जानलेवा साबित हो सकती है।
जानिए कैसे फैलता है स्वाइन फ्लू, क्या है इसके जानलेवा बिमारी के लक्षण-
स्वाइन फ्लू एक प्रकार का संक्रामक रोग है जो मुख्य रूप से दो तरह से फैलता है। पहला, रोगी को छूने, हाथ-मिलाने या सीधे संपर्क में आने से। दूसरा, रोगी की सांस के जरिए जिसे ड्रॉपलेट इंफेक्शन भी कहा जाता है। यह वाइरस पीड़ित व्यक्ति के छींकने, खांसने, हाथ मिलाने और गले मिलने से फैलते हैं। वहीं स्वाइन फ्लू का वाइरस स्टील प्लास्टिक में 24 से 48 घंटों तक, कपड़ों में 8 से 12 घंटों तक, टिश्यू पेपर में 15 मिनट तक और हाथों में 30 मिनट तक सक्रिय रहता है।
जब आप खांसते या छींकते हैं तो हवा में या जमीन पर या जिस भी सतह पर थूक या मुंह और नाक से निकले द्रव कण गिरते हैं, वह वायरस की चपेट में आ जाता है। यह कण हवा के द्वारा या किसी के छूने से दूसरे व्यक्ति के शरीर में मुंह या नाक के जरिए प्रवेश कर जाते हैं। मसलन, दरवाजे, फोन, कीबोर्ड या रिमोट कंट्रोल के जरिए भी यह वायरस फैल सकते हैं, अगर इन चीजों का इस्तेमाल किसी संक्रमित व्यक्ति ने किया हो।
स्वाइन फ्लू के लक्षण-
हल्का फ्लू या स्वाइन फ्लू में बुखार, खांसी, गले में खराश, नाक बहना, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, ठंड और कभी-कभी दस्त और उल्टी के साथ आता है। हल्के मामलों में, सांस लेने में परेशानी नहीं होती है। लगातार बढ़ने वाले स्वाइन फ्लू में छाती में दर्द के साथ उपरोक्त लक्षण, श्वसन दर में वृद्धि, रक्त में ऑक्सीजन की कमी, कम रक्तचाप, भ्रम, बदलती मानसिक स्थिति, गंभीर निर्जलीकरण और अंतर्निहित अस्थमा, गुर्दे की विफलता, मधुमेह, दिल की विफलता, एंजाइना या सीओपीडी हो सकता है।’ यदि महिला गर्भवती हो तो, फ्लू भ्रूण की मौत का गंभीर कारण बन सकता है। हल्के-फुल्के मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन गंभीर लक्षण होने पर मरीज को भर्ती करने की आवश्यकता हो सकती है।
कैसे पाएं इस खतरनाक बीमारी से निजात-
1) किसी भी एन्फ्लूएंजा के वायरस का मानवों में संक्रमण श्वास प्रणाली के माध्यम से होता है। इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति का खांसना और छींकना या ऐसे उपकरणों का स्पर्श करना जो दूसरों के संपर्क में भी आता है, उन्हें भी संक्रमित कर सकता है।
2) जो संक्रमित नहीं वे भी दरवाजा के हैंडल, टेलीफोन के रिसीवर या टॉयलेट के नल के स्पर्श के बाद स्वयं की नाक पर हाथ लगाने भर से संक्रमित हो सकते हैं।
3) सामान्य एन्फ्लूएंजा के दौरान रखी जाने वाली सभी सावधानियां इस वायरस के संक्रमण के दौरान भी रखी जानी चाहिए।
4) बार-बार अपने हाथों को साबुन या ऐसे सॉल्यूशन से धोना जरूरी होता है जो वायरस का खात्मा कर देते हैं।
5) नाक और मुंह को हमेशा मॉस्क पहन कर ढंकना जरूरी होता है।