बिहार के भागलपुर जिले का यह मामला आपकी सोच और संवेदना को पूरी तरह झकझोर कर रख देगा। आखिर पारवारिक विवाद का असर किस तरह से आपके अपने बच्चो पर पड़ता है कि बच्चे इच्छा मृत्यु मांगने पर मजबूर हो जाते है। शायद इस तरह के मामले को लोग नज़र अंदाज़ कर देते हो लेकिन यह हैरान कर देने वाला मामला आपको सोचने पर मजबूर कर देगा। भागल पुर जिले के महिषामुंडा गांव निवासी मनोज कुमार मित्रा के पुत्र कृष कुमार मित्रा (15) ने पारिवारिक कलह से तंग आकर करीब दो महीने पहले राष्ट्रपति को पत्र भेज कर इच्छा मृत्यु की मांग की थी। प्रधान मंत्री कार्यालय ने जिला प्रशासन को मामले की जाँच करने के लिए कहा है। कृष ने आरोप लगाया माँ की प्रताड़ना और उनके द्वारा मुकदमेबाजी किये जाने तथा असमाजिक तत्वों द्वारा बार बार धमकी दिए जाने से वह परेशान है।
ऐसे में अब उसे जीवित रहने की इच्छा नहीं रह गई है। दरसल कृष के पिता कैंसर से पीड़ित है , वह ग्रामीण विकास विभाग देवघर में जिला प्रबंधक के पद पर कार्यरत है जबकि उसकी माँ सुजाता इंडियन ओवरसीज बैंक पटना में सहायक प्रबंधक के पद पर कार्यरत है। कृष अपने पिता के साथ रहता है वह नौवीं क्लास में पढ़ रहा है। कृष के माता पिता के बीच एक लम्बे अरसे से विवाद चल यह था और दोनों पति पत्नी एक दूसरे से अलग लग रह रहे है। कृष अपनी माँ के वर्ताव से निराश है उसे पूरी तरह अनुचित ठहराया है। कृष इतनी कम उम्र में हीअपने जीवन से पूरी तरह हतास हो चुका है कि इच्छा मृत्यु मांगने के लिए मजबूर हो गया है। यह सरकार के साथ समाज को भी सोचना चाहिए क्या आधुनिक शिक्षित समाज की यही सहूलियत है कि कलह विवाद के चलते इतने व्यस्त हो जाये कि अपने ही बच्चे के जीवन और उसकी मानसिक स्थति का ख्याल ही न रहे। यह समस्या सिर्फ सोच तक सीमित नहीं रह सकती इस समस्या पर विचार करना चाहिए, विचार ही नहीं बल्कि अपने बच्चे और उनके जीवन व् भविष्य के प्रति अपनी जिम्मेदारी अथवा दायित्व को समझना होगा।