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वर्ल्ड राइनो डे: विलुप्त होने की कगार पर गैंडे की 3 प्रजातियां

क्या आप जानते हैं कि 100 साल पहले, एक सींग वाले राइनो या राइनोसोरस यूनिकॉर्निस के विलुप्त होने का खतरा था. इनकी संख्या 200 से भी कम थी. लेकिन भारत और नेपाल की कोशिशों की वजह से अब उनकी संख्या 3,850 हो गई है. 1905 में बचे हुए 10-20 गैंडो के लिए काजीरंगा नेशनल पार्क की स्थापना की गई थी. लेकिन अब ये 70% से ज्यादा प्रजातियों का घर है.

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इन गैंडों का सबसे बड़ा शिकारी इंसान ही है. 50 साल पुराने इंटरनेशनल ट्रेड बैन (1977 से) के बावजूद सींग के लिए गैंडों का शिकार किया जाता है. भारत ही नहीं दक्षिण अफ्रीका में भी काले और सफेद गैंडों का अवैध शिकार 2004-2014 के बीच में बढ़ा है.


 

ये बढ़ोतरी इसलिए है क्योंकि गैंडे के सींग की एशिया में खासकर चीन में भारी मांग है. सींग को बीमारियों इलाज माना जाता है लेकिन सच्चाई ये है कि ये झूठ है. ये इंसानों के नाखून और बालों जैसे ही हैं.

बाजार की इस मांग के कारण आज राइनो की 3 और प्रजातियां ‘विलुप्त होने की कगार’ पर हैं. गैंडे की कुछ प्रजातियों की संख्या पर एक नजर डालते हैं.

  • जावन गैंडा (65-58)
  • सुमात्रन गैंडा  (80 से कम)
  • काला गैंडा (5,366 से 5,627)
  • सफेद गैंडा  (17,212 से 18,915)

मार्च 2018 में ‘सूडान’ नाम के अंतिम सफेद नर गैंडे की मौत हो गई. दुनिया में अब सिर्फ 2 मादा सफेद राइनो बची हुई हैं. लेकिन उम्मीद बची हुई है. क्योंकि वैज्ञानिकों ने फ्रोजेन स्पर्म से
2 नॉर्दर्न व्हाइट राइनो भ्रूण उगाए हैं.

WRITTEN BY : HEETA RAINA

 

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