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कब और कैसे शुरू हुई टाटा कंपनी, क्यों खास थे जेआरडी रतन टाटा!

जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा या जेआरडी टाटा भारत के अग्रणी उद्योगपति थे, आधुनिक भारत की औद्योगिक बुनियाद रखने वाले उद्योगपति का नाम सर्वोपरि है।

भारत में इस्पात इंजीनियरिंग होटल वायुयान और अन्य उद्योगों के विकास में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।जेआरडी टाटा ने देश की पहली वाणिज्यिक विमान सेवा टाटा एयरलाइंस की शुरुआत की जो आगे चलकर सन 1946 में एयर इंडिया बन गई । इस योगदान के लिए या डाटा को भारत के नागरिक उड्डयन का पिता भी कहा जाता है।

देश के विकास में उनके अतुलनीय योगदान को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने उन्हें ने सन 1955 में पद्म विभूषण 1993 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया, उन्होंने अपने कुशल नेतृत्व से टाटा समूह को देश के अग्रणी उद्योग घराने में बदल दिया ,और कर्मचारियों के कल्याण के लिए कई योजनाएं शुरू की जिन्हें बाद में भारत सरकार ने भी अपनाया उन्होंने टाटा समूह की कंपनियों में 8 घंटे का कार्य दिवस ,निशुल्क चिकित्सा सहायता ,कर्मचारी भविष्य निधि योजना और कामगार दुर्घटना मुआवजा योजना जैसी योजनाओं को भारत में पहली बार शुरू किया।

इस प्रकार जेआरडी टाटा ने भारतीय कंपनी जगत में पहली कॉरपोरेट गवर्नेंस और सामाजिक विकास योजनाएं प्रारंभ की जेआरडी टाटा भारत में पायलट लाइसेंस पाने वाले प्रथम व्यक्ति थे । प्रारंभिक जीवन – जेआरडी टाटा अपने पिता रतनजी दादाभाई टाटा माता सुजैन बृयरे की दूसरी संतान थे। उनके पिता रतन जी देश के अग्रणी उद्योगपति जमशेदजी टाटा के चचेरे भाई थे ।उनकी मां फ्रांसीसी थी इसीलिए उनका ज्यादातर बचपन फ्रांस में बीता, और फ्रेंच उनकी पहली भाषा बन गई ।उन्होंने कैथडरल और जॉन कोनोन स्कूल मुंबई से अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की और उसके बाद इंजरिंग की पढ़ाई के लिए कैंब्रिज विश्वविद्यालय चले गए। उन्होंने फ्रांसीसी सेना में 1 वर्ष का अनिवार्य सैन्य प्रशिक्षण भी प्राप्त किया। और सेना में कार्य करते रहना चाहते थे। पर उनके पिता की इच्छा कुछ और थी। इसलिए उन्हें सेना छोड़ना पड़ा ।

टाटा ग्रुप में प्रवेश की उनकी कहानी सन 1925 में एक अवैतनिक प्रशिक्षु के रूप में टाटा एंड संस में उन्होंने कार्य प्रारंभ किया अपनी कड़ी मेहनत दूरदृष्टि और लगन से वे 1938 में भारत के सबसे बड़े औद्योगिक टाटा समूह के अध्यक्ष बन गए उन्होंने 14 उद्योगों के साथ समूह के नेतृत्व की शुरुआत की थी। और जब 26 जुलाई 1988 उन्होंने अध्यक्ष पद छोड़ छोड़ा। तब तक टाटा 95 समूह का विशाल समूह बन चुका था। उन्होंने कई दशकों तक स्टील और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में टाटा समूह की कंपनियों का निर्देश दिया । क्षेत्र में सफलता के साथ उन्हें अधिक मांगों के लिए और कर्मचारियों के कल्याण व सामाजिक सुरक्षा में संबंधित नीतियों को लागू करने के लिए जाना जाता है, इनमें से बहुत सारी कार्यक्रम को भारत सरकार ने बाद में कानून के तौर पर लागू किया|

50 से अधिक समय तक सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टी भी रहे और अपने मार्गदर्शन में राष्ट्रीय महत्व के कई संस्थान की स्थापना की प्रमुख टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान टाटा मेमोरियल सेंटर एशिया का पहला कैंसर अस्पताल और प्रदर्शन कला के लिए राष्ट्रीय केंद्र । उन्हीं के नेतृत्व में सन 1945 में टाटा मोटर्स की स्थापना हुई और उन्होंने सन 1948 में भारत की पहली अंतरराष्ट्रीय एयरलाइंस के रूप में एयर इंडिया इंटरनेशनल का शुभारंभ किया|

भारत सरकार ने सन 1953 में उन्हें एयर इंडिया का अध्यक्ष और इंडियन एयरलाइंस बोर्ड का निर्देशक नियुक्त किया इस पद पर अगले 25 साल तक बनी रहे| उन्होंने टाटा समूह के कर्मचारियों के हित के लिए कई लाभकारी नीतियां लागू कि उन्हें कंपनी मामलों में श्रमिक की भागीदारी और जानकारी के लिए कंपनी प्रबंधन के साथ कर्मचारियों का संपर्क कार्यक्रम की शुरुआत की |

उनके नेतृत्व में टाटा समूह कर्मचारी हित के लिए अग्रगामी योजनाएं लागू की टाटा समूह की कंपनियों ने प्रतिदिन 8 घंटे कार्य था और कामगार दुर्घटना योजना को अपनाया|

समाज और देश के विकास में उनके योगदान देखते हुए उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार सम्मानित किया गया भारतीय वायु सेना ने जेआरडी टाटा को ग्रुप कैप्टन की मानद पद से सम्मानित किया| बाद में उन्हें एयर कमोडोर के पद पर अपलोड किया और फिर 1 अप्रैल 1974 को एयर वाइस मार्शल पद से सम्मानित किया|

बीमा क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए वाकई पुरस्कार दिया गया टोनी जेनस पुरस्कार 1979 फेडरेशन नोट इंटरनेशनल एयरपोर्ट 1985 कनाडा विमानन संगठन द्वारा पुरस्कार 1986 और डेनियल 1988 भारत सरकार ने भारत सरकार ने पद्म विभूषण और सन 1993 में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया।

आज जेआरडी टाटा का जन्मदिन है, भारत उन्हें कभी नहीं भुला सकता | उन्होंने अपने जीवन शैली और सफल नेतृत्व से देश के साथ-साथ अपने व्यापार और उद्योग को बढ़ाया उनकी पहली प्राथमिकता कामगारों और मजदूरों का विशेष ध्यान रखना यही विशेषता उन्हे जेआरडी रतन टाटा बनाते हैं!

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