दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 54 दिनों से किसान संगठन लगातार आंदोलन कर रहे हैं। किसानों और सरकार के बीच 9 दौर की वार्ता विफल हो चुकी है और अब 19 जनवरी को दसवें दौर की वार्ता होने वाली हैं। इस वार्ता से पहले आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई भी हुई है। दरअसल 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस पर किसान संगठनों ने ट्रैक्टर रैली निकालने का ऐलान किया है। दिल्ली पुलिस इस रैली का विरोध कर रही है तो वहीं किसान संगठनों ने मांग की है कि उन्हें रैली निकालने दी जाए। इसे को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने कहा कि दिल्ली में कौन आएगा कौन नहीं, ये दिल्ली पुलिस तय करेगी। अब इस मामले में अगली सुनवाई बुधवार को होगी।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली के रामलीला मैदान में प्रदर्शन की इजाजत पर पुलिस को फैसला करना है। शहर में कितने लोग, कैसे आएंगे ये पुलिस तय करेगी। चीफ जस्टिस ने सख्त लहजे में कहा कि क्या अब अदालत को बताना होगा कि सरकार के पास पुलिस एक्ट के तहत क्या शक्ति है।
उधर कोर्ट में सुनवाई के दौरान सबसे पहले किसान संगठनों की तरफ से वकील एपी सिंह ने दलीलें रखीं। सुनवाई के दौरान एपी सिंह ने कहा कि किसानों को शांति से रामलीला मैदान में बैठने दिया जाए।
वहीं सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की तरफ से कहा गया कि कोई भी रैली या ऐसा विरोध जो गणतंत्र दिवस समारोह में खलल डालने की कोशिश करता है, वो देश को शर्मिंदा करने वाला होगा। इससे दुनियाभर में देश की बदनामी होने का डर है। राजधानी में कानून-व्यवस्था खराब होने की नौबत आ सकती है।
इस पूरे मामले को सुनते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि इस मामले को डील करने के लिए आपके पास पूरी अथॉरिटी है। हम ये नहीं कह रहे कि आपको क्या करना चाहिए। हम 20 जनवरी को इस मामले की सुनवाई करेंगे।