#e RUPI डिजिटल भुगतान प्रणाली की दिशा में एक अहम क़दम माना जा रहा है.
ये प्रणाली पैसा भेजने वाले और पैसा वसूल करने वाले के बीच ‘एन्ड टू एन्ड एन्क्रिप्टेड’ है यानी दो पार्टियों के बीच किसी तीसरे का इसमें दख़ल नहीं है. इसे नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया (एनपीसीआई) ने विकसित किया है.
ई-रुपी क्या है?
एनपीसीआई के अनुसार ई-रुपी डिजिटल पेमेंट के लिए एक कैशलेस और कॉन्टैक्टलेस प्लेटफ़ॉर्म है.
ये QR कोड या SMS के आधार पर ई-वाउचर के रूप में काम करता है.
एनपीसीआई के मुताबिक़ लोग इस एकमुश्त भुगतान के यूज़र्स कार्ड, डिजिटल भुगतान ऐप या इंटरनेट बैंकिंग एक्सेस के बिना ई-रुपी वाउचर को भुनाने में सक्षम होंगे.
इस ई-रुपी को आसान और सुरक्षित माना जा रहा है, क्योंकि यह बेनेफिशियरीज़ के विवरण को पूरी तरह गोपनीय रखता है.
इस वाउचर के माध्यम से पूरी लेन-देन प्रक्रिया अपेक्षाकृत तेज़ और साथ ही विश्वसनीय मानी जाती है, क्योंकि वाउचर में आवश्यक राशि पहले से ही होती है.
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फ़ायदे
सरकार अपनी कई योजनाओं के तहत ग़रीबों और किसानों को सहायता के रूप में कैश उनके बैंक खातों में ट्रांसफ़र करती रही है जैसा कि कोरोना काल में दिखा.
इस सिस्टम में सरकारी कर्मचारियों का काफ़ी दखल होता है. कई बार लोगों को इसमें काफ़ी परेशानी भी होती है. आरोप ये भी लगते हैं कि सरकारी कर्मचारी रिश्वत भी लेते हैं.
ई-रुपी के इस्तेमाल से इसका ख़तरा ख़त्म हो जाता है, जैसा कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा कि यह भुगतान प्रणाली “सुनिश्चित करती है कि लाभ बिना किसी परेशानी के बेनेफिशियरीज़ (लाभार्थी) तक पहुंचे.”
ई-रुपी का इस्तेमाल सरकार की विशेष मुद्रा मदद के दौरान किया जा सकता है. इसे निजी कंपनियाँ भी अपने कर्मचारियों के लिए इस्तेमाल कर सकती हैं.