जम्मु-कश्मीर में अलागवाद को हवा देने वाले कई बड़े नेताओं पर सख्त रुख अपनाया जा रहा है। शुक्रवार देर रात लिबरेशन फ्रंट के प्रमुख यासिन मलिक और जमात ए इस्लामी के कई नेताओं के साथ कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया गया है। यासीन मलिक को मायसूमा स्थित उनके आवास से हिरासत में लिया गया है. पुलिस उन्हें पकड़कर कोठीबाग थाने ले गई। कहा जा रहा है कि 26 फरवरी को अनुच्छेद 35 -ए पर सुनवाई प्रस्तावित है।
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इसके साथ ही गृह मंत्रालय ने अर्द्धसैनिक बलों की 100 कंपनियों को जम्मू-कश्मीर भेजा है. हालांकि अभी किसी और नेता के हिरासत में लेने या गिरफ्तार करने की खबर नहीं आई है. यासीन मलिक की गिरफ्तारी इसलिए भी अहम है क्योंकि मात्र दो दिन बाद ही सोमवार को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाली संविधान की धारा 35-A पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है।
आपको बता दें कि पुलवामा हमले के बाद सरकार ने अलगाववादी नेताओं के खिलाफ सख्त कदम उठाए थे। इस दौरान घाटी के 18 हुर्रियत नेताओं और राजनीतिज्ञों से सुरक्षा वापस ले ली गई थी। इन अलगाववादी नेताओं में एसएएस गिलानी, अगा सैयद मौसवी, मौलवी अब्बास अंसारी, यासीन मलिक, सलीम गिलानी, शाहिद उल इस्लाम, जफर अकबर भट, नईम अहमद खान, फारुख अहमद किचलू, मसरूर अब्बास अंसारी, अगा सैयद अब्दुल हुसैन, अब्दुल गनी शाह, मोहम्मद मुसादिक भट और मुख्तार अहमद वजा शामिल थे। बता दें कि इनकी सुरक्षा में सौ से ज्यादा गाड़ियों के अलावा 1000 पुलिसकर्मी तैनात थे।
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इस कदम के बाद मलिक ने सरकार के इस कदम को झूठा बताते हुए कहा कि उन्हें 30 साल से कोई सूरक्षा नही मिला है। ऐसे में जब सुरक्षा मिली ही नहीं तो वापस लेने की बात कोई कैसे कर सकता है। सरकार एक दम झूठ बोल रही है। वहीं गिलानी ने इसे हँसी का विषय बताया था।
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