तीन नए कृषि कानूनों पर 26 जनवरी पर हुए बवाल के बाद किसानो का इस आंदोलन से मोह भंग होने लगा है।दिल्ली में ट्रैक्टर परेड के दौरान हुए हुड़दंग के बाद किसानों की वापसी शुरू हो गई।
आपको बता दें बुधवार सुबह से ही पंजाब की ओर जाने के लिए जीटी रोड पर ट्रैक्टर-ट्रालियों की कतार लग गई। कतार इतनी लंबी थी कि कुंडली से लेकर मुरथल से आगे तक जीटी रोड पूरी तरह से जाम हो गया। दोपहर तक गांव रसोई तक जीटी रोड लगभग खाली हो चुका था।
किसान नेताओं ने एलान किया था कि परेड से वापस आने के बाद कोई किसान वापस नहीं जाएगा, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में किसानों की वापसी से किसान नेता चिंतित हो उठे।
तत्काल वापस लौट रहे किसानों को समझाने का प्रयास शुरू हुआ और आंदोलन स्थल से वापस हो रहे किसानों को रोकने का काम शुरू हुआ। किसानों को धरनास्थल पर बनाए रखने के लिए किसान नेताओं ने भी अपनी ताकत झोंक दी है।
कृषि कानून के विरोध में कुंडली बार्डर पर किसान 62 दिन से आंदोलनरत हैं। 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर परेड के दौरान हुड़दंग के बाद यहां से किसानों की वापसी शुरू हो गई है। इन्हें रोकने के लिए संयुक्त किसान मोर्चे के नेता पूरी ताकत से जुट गए हैं।
पहली बार मंच पर मोर्चे के बड़े नेता बलबीर सिंह राजेवाल, बलदेव सिंह सिरसा, गुरनाम सिंह चढ़ूनी, हरजिंदर सिंह टांडा आदि आंदोलन के मुख्य मंच पर एक साथ आए और किसानों को संबोधित कर उनमें जोश भरने का प्रयास किया। मंच से किसानों को धर्म व समाज के नाम पर भावनात्मक रूप से रुकने और आंदोलन को आगे बढ़ाने की अपील की गई।
बलदेव सिंह सिरसा ने कहा कि दो महीने बाद यदि यहां से खाली हाथ लौटे तो घर की मां, बहन और पत्नी भी ताने मारेंगी। उन्होंने सभी को सिख इतिहास और कुर्बानी की याद दिलाई। गुरु गो¨बद सिंह के साहिबजादों की शहादत की याद दिलाई।
बलबीर सिंह राजेवाल ने तो श्रवण सिंह पंधेर और सतमान सिंह पन्नू को गद्दार करार दिया। गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने जाट आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि उसी की तर्ज पर अब इस आंदोलन को भी तोड़ने की कोशिश की जा रही है।
दिल्ली में भारी उपद्रव के बाद आंदोलन स्थल से किसान पलायन करने लगे हैं। बुधवार को गाजीपुर बॉर्डर पर काफी कम किसान नजर आए। दिल्ली में उपद्रव के बाद बुधवार को नोएडा के चिल्ला बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन को समाप्त कर दिया गया।
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