कोरोना संकट हर दिन के साथ बढ़ता ही जा रहा है। तमाम कोशिशों के बावजूद देश में कोविड से जुड़े केस लगातार बढ़ रहे हैं। सोशल डिस्टेन्सिंग के निर्देश दिए जा रहे हैं ताकि संक्रमण की चेन को तोड़ा जा सके लेकिन इसी बीच बिहार से एक ऐसी खबर आई है जिसे लोगों के जीवन से खिलवाड़ कहा जा सकता है। दरअसल अब बिहार के 9वीं से 12वीं तक के सभी सरकारी और निजी विद्यालय 28 सितम्बर से खोलने का फैसला लिया गया है। अभिभावकों की लिखित सहमति के साथ ही बच्चे स्कूल जा सकेंगे। और ये पूरी व्यावस्था छात्रों और अभिभावकों के स्वैच्छिक आधार पर होगी। हालांकि कंटेनमेंट जोन के सभी स्कूल अब भी बंद रहेंगे। उन शिक्षक, स्टाफ और छात्रों पर भी पाबंदी रहेगी जो कंटेनमेंट जोन के अंदर रहते हों।
लेकिन इस फैसले पर सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि बिहार में लगतार कोविड केस सामने आ रहे हैं। और सरकार के इस फैसले पर सवाल उठना लाजमी है। बिहार विधानसभा चुनाव आने वाले हैं और मन जा रहा है कि सरकार इस फैसले के साथ ये संदेश देना चाहती है कि स्थिति न सिर्फ नियंत्रण में है बल्कि हालात सामान्य जैसे हैं। वहीं इस फैसले को लेकर सोशल मीडिया पर नाराजगी भी दिखाई देने लगी है। कुछ यूज़र्स ने फैसले पर सवाल उठाए हैं और तीखी प्रतिक्रिया भी दी है।
एक यूजर ने लिखा कि जबतक कोविड वैक्सीन नहीं आ जाती अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने में डरेंगे।
बिहार में 1,70,000 के करीब कोरोना केस सामने आ चुके हैं और ये लगातार बढ़ भी रहे हैं ऐसे में इस फैसले पर सवाल उठना जरूरी है।
हालांकि स्कूल खोलने के लिए कई कड़े नियम तय किए गए हैं। केन्द्र सरकार द्वारा जारी गाइड लाइन का स्कूलों को पालन करना होगा।
गाइडलाइन्स की कुछ खास बातें
-होस्टल, कोचिंग सेंटर बंद रहेंगे
-बायोमेट्रिक हाजिरी नहीं होगी
-प्रार्थना सत्र नहीं होगा
-खेल-कूद की गतिविधि पर रोक रहेगी
-स्कूल के एंट्री गेट पर हैंड सेनेटाइजर की व्यवस्था जरूरी