हफ़्तों से चले आ रहे है इस नए कृषि क़ानून का विरोध आंदोलन अब हिंसक रूप लेता जा रहा है किसानों का ऐलान है की आठ दिसम्बर भारत बन्द रहेगा दूसरी तरफ प्रधान मंत्री मोदी व उद्योगपतियों का पुतला फूँकने का भी ऐलान किया है।
ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि वह अन्नदाता, जिसको जनता भगवान का दर्जा देती है, क्या वह सच में इस हिंसक आंदोलन का रचयिता है या किसानों के कंधो पर बंदूक तान कर कोई और ही इस आंदोलन को हिंसक रूप में रच रहा है।
इतना ही नहीं इस आंदोलन के कारण भारत की राजधानी दिल्ली की अर्थव्यवस्था पर भी गहरा असर पड़ रहा है।इस बीच आज किसानों और सरकार के बीच पांचवीं दौर की वार्ता है.
उत्सुकता इस बात की है कि क्या सरकार किसानों को मना लेगी या किसान अपने आंदोलन पर टिके रहेंगे?