टोक्यो ओलंपिक जेवलिन थ्रो में पहले नीरज चोपड़ा ने भारत को एक गोल्ड दिया। वही Tokyo Paralympic में एक बार फिर एक भारतीय ने भारत को सिल्वर और एक में ब्राउन मेडल दिया इस तरह से भारत के मेडल ओं की संख्या 7 पर पहुंच गई है।
जेवलिन थ्रो में भारत के देवेंद्र झाझरिया ने सिल्वर और सुंदर सिंह ने कांस्य पदक पर अपनी मुहर लगाई है। वहीं इस इवेंट का गोल्ड मेडल श्रीलंका के मुदियनसेलेज हेराथ के नाम हुआ।
बता दें कि जहां ने मुदियनसेलेज 67.79 मीटर का थ्रो किया। वहीं, देवेंद्र ने 64.35 मीटर और सुंदर सिंह ने 64.01 मीटर तक पहुंच कर मेडल अपने नाम किया। कुल मिलाकर सोमवार का दिन टोक्यो पैरालंपिक में भा्रत के लिए बेहतरीन और शुभ दिन साबित हुआ। वहीं भारत के कुल पदकों की संख्या सात हो गई है। बता दें कि देवेंद्र झाझरिया ने इससे पहले भी पैरालंपिक खेल में दो मेडल अपने नाम किया था। इससे पहले झाझरिया एथेंस ओलंपिक 2004 और रियो ओलंपिक 2016 में गोल्ड मेडल जीत चुके हैं।
वहीं अवनि लेखरा ने भारत को गोल्ड देकर इतिहास रच दिया। भारतीय निशानेबाज अवनि लेखरा ने टोक्यो पैरालंपिक खेलों में गोल्ड जीतकर इतिहास रच दिया है। अवनि ने महिलाओं के 10 मीटर एयर राइफल के क्लास एसएच1 फाइनल में 249.6 अंक बनाकर विश्व रिकार्ड के बराबर में खुद को पहुंचाते हुए खेल में पहला स्थान हासिल किया। उन्होंने चीन की झांग कुइपिंग (248.9 अंक) को भी पछाड़ा। यूक्रेन की इरियाना शेतनिक (227.5) ने कांस्य पदक जीता। भारत का पैरालंपिक खेलों में निशानेबाजी प्रतियोगिता में यह पहला पदक है। टोक्यो पैरालंपिक में भी यह देश का पहला स्वर्ण पदक है।
भारत के एक और लाल ने सिल्वर जीतकर इतिहास रच दिया। योगेश कथूनिया ने पैरालंपिक खेलों में पुरुषों की चक्का फेंक स्पर्धा के एफ 56 वर्ग में इस साल का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन कर जीता सिल्वर। बता दें कि केवल आठ साल की उम्र में ही लकवाग्रस्त होने के बावजूद भी योगेश ने अपने छठे और अंतिम प्रयास में 44.38 मीटर चक्का फेंककर दूसरा स्थान हासिल किया। ब्राजील के बतिस्ता डोस सांतोस ने 45.59 मीटर के साथ स्वर्ण जबकि क्यूबा के लियानार्डो डियाज अलडाना (43.36 मीटर) ने कांस्य पदक जीता। वहीं योगेश पैरालंपिक खेलों में चक्का फेंक (डिस्कस थ्रो) में सिल्वर जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने।