उत्तर प्रदेश इलाहाबाद हाई कोर्ट की उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ खंडपीठ ने डीएवी कालेज में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर याचिकाकर्ता को पोस्टिंग के आदेश के 9 महीने बाद भी पालन न होने को अपने आदेश की अवहेलना माना है।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ कोर्ट ने गंभीर रूख अपनाते हुए कहा है कि यदि अगले दो सप्ताह में आदेश का पालन नहीं होता तो उच्च शिक्षा निदेशक 20 दिसंबर को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में हाजिर हों।
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यह आदेश जस्टिस मनीष माथुर की एकल पीठ ने डा. नेहा जैन की ओर से दाखिल रिट याचिका पर पारित किया।
उत्तर प्रदेश माथुर की एकल पीठ ने डा. नेहा जैन की ओर से दाखिल रिट याचिका पर बीती 18 फरवरी को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने याचिकाकर्ता को डीएवी कालेज, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नियुक्ति देने का आदेश देते हुए कहा था कि यह नियुक्ति कोर्ट के आदेशों के अधीन रहेगी।
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कोर्ट ने आदेश उच्च शिक्षा निदेशक की छह फरवरी 2021 को दी गई संस्तुति के क्रम में पारित किया था।
याची का कहना था कि उसने 18 मार्च 2014 को जारी विज्ञापन के सापेक्ष आवेदन किया था और चयन होने के बावजूद उसे नियुक्ति नहीं दी जा रही है। वहीं, सरकारी वकील ने कोर्ट के समक्ष कहा था कि जिस कालेज के लिए याची का असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर चयन होना था, वहां नहीं हो पा रहा है।
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अत: उसका समायोजन अन्य कालेज में किया जाएगा।
जिसके बाद कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट की एक नजीर का हवाला देते हुए याची को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के डीएवी कालेज में नियुक्ति देने का आदेश दिया था।