सोमवार को राज्यसभा में दिल्ली सेवा बिल पर चर्चा हुई। इस बिल पर वोटिंग भी हुई। बिल पर हुए मतदान में पक्ष में 131 और विपक्ष में 102 वोट डाले गए। परिणाम स्वरूप राज्यसभा से भी बिल को मंजूरी मिल गई। इसके अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अन्य सदस्यों को जवाब भी दिया।
शाह ने कहा कि इस बिल का उद्देश्य है कि दिल्ली में सुचारू रूप से भ्रष्टाचार मुक्त शासन हो। बिल के एक भी प्रावधान से, पहले जो व्यवस्था थी, उस व्यवस्था में एक इंच मात्र भी परिवर्तन नहीं हो रहा है। उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि दिल्ली की व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए बिल लाया गया है। इस बिल का मकसद भ्रष्टाचार को रोकना है। इसके उद्देश्य संविधान के मुताबिक ही है। इस बिल का कोई भी प्रावधान संविधान का उल्लंघन नहीं करते।
उन्होंने कहा कि कई बार केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी तो दिल्ली में भाजपा की सरकार थी, कई बार केंद्र में भाजपा की सरकार थी तो दिल्ली में कांग्रेस की, उस समय ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर कभी झगड़ा नहीं हुआ। उस समय इसी व्यवस्था से निर्णय होते थे और किसी मुख्यमंत्री को दिक्कत नहीं हुई। 2015 में एक ‘आंदोलन’ के बाद एक नई पार्टी अस्तित्व में आई और उनकी सरकार बनी। सारी समस्या उसके बाद ही शुरू हुई। कई सदस्यों द्वारा बताया गया कि केंद्र को शक्ति हाथ में लेनी है। हमें शक्ति लेने की जरूरत नहीं, क्योंकि 130 करोड़ की जनता ने हमें शक्ति दी हुई है।
उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि संविधान सभा में सबसे पहला संविधान संशोधन पारित किया गया था। तब से संविधान को बदलने की प्रक्रिया चल रही है। हम संविधान में बदलाव आपातकाल डालने के लिए नहीं लाए हैं। हम संविधान में बदलाव उस समय की तत्कालीन प्रधानमंत्री की सदस्यता को पुनर्जीवित करने के लिए नहीं लाए हैं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सिर्फ आम आदमी पार्टी को खुश करने के लिए दिल्ली से संबंधित विधेयक का विरोध कर रही है। हम संविधान के तहत बिल लाए हैं। इसका मकसद प्रशासन को दुरुस्त करना है। यह बिल हम शक्ति को केंद्र में लाने के लिए नहीं, बल्कि केंद्र को दी हुई शक्ति पर दिल्ली UT की सरकार अतिक्रमण करती है, इसको वैधानिक रूप से रोकने के लिए यह बिल लेकर लाए हैं।