भारत की आजादी के 74 साल बीतने के बावजूद पंजाब के वोटर चयनित जन प्रतिनिधियों की कार्यप्रणाली और उनके कार्य के बारे में जानने के अधिकार से वंचित हैं।
यह दलील देते हुए जन प्रतिनिधियों की जानकारी सार्वजनिक करने की मांग वाली याचिका पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब राज्य सूचना आयोग, विधानसभा सचिव व विधानसभा के जन सूचना अधिकारी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
बताया जा रहा है की पूर्व पीसीएस त्रिलोचन सिंह भट्टी ने हाईकोर्ट को बताया कि संसद के दोनों सदनों के सदस्यों की जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध है।
इस जानकारी को वोटर देख सकता है और अपने चुने हुए प्रतिनिधियों के कार्य के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है।
याची ने बताया कि पंजाब विधानसभा के सदस्यों के कार्य, उनके वेतन, भत्तों, प्राइवेट बिल आदि की जानकारी विधानसभा ने लोगों के बीच उपलब्ध करवाने की दिशा में कोई कार्य नहीं किया है।
बता दे की इतना ही नहीं उनके द्वारा विधानसभा में उठाए गए सवालों, उनके विधानसभा क्षेत्र के दौरों तक की जानकारी भी सार्वजनिक नहीं की जा रही है।
इसके चलते याची ने विधानसभा के जन सूचना अधिकारी से कुछ जानकारी मांगी थी। याची को जो जानकारी उपलब्ध करवाई गई वह ऐसी है, जिसे कोई सामान्य व्यक्ति समझ ही नहीं सकता।
इस सूचना को पूरी तरह से अधूरा माना जा सकता है। याची ने कहा कि इस बारे में उन्होंने राज्य सूचना आयोग को भी लिखा था, लेकिन इसका कोई लाभ नहीं हुआ।
याची ने हाईकोर्ट से अपील की कि याची की शिकायत पर कार्रवाई करने का राज्य सूचना आयोग को आदेश जारी किया जाए। याची पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने याचिका पर सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।