सेंट्रल डेस्क्, साहुल पाण्डेय : 2019 के चुनावों को लेकर देंश में राजनीति महौल अपने चरम पर है। एक ओर जहां सत्ता रुढ एनडीए जीत का दावा कर रही है तो वहीं विपक्ष इस दौरान महागठबंधन को मजबूत रखने की कोशिश में जगा हुआ है। महागठबंधन एक ओर जहां 2019 में मिलकर एनडीए की सत्ता को बड़ी चुनौती देने की बात कर रहा है वहीं उसके भीतर ही कई सारी समस्याएं देखने को मिल रही हैं जो इसे कमजोर कर रहीं है। आज कम्यूनिस्ट पार्टी की ओर से एक बड़ा बयान आया है जिससे महागठबंधन के भीतर की कमजोरियां सामने आ रहीं हैं
कम्यूनिस्ट पार्टीं आफ इंडिया महागठबंधन का हिस्सा नहीं
कम्यूनिस्ट पार्टीं आफ इंडिया की ओर से महागठबंधन को लेकर बड़ा बयान आया है। यह बयान सीपीएम नेता हन्नान मोल्लाह की ओर से आया है। उन्होंने साफ शब्दों में यह कह दिया है कि सीपीएम महागठबंधन का हिस्सा नहीं हो सकती है। मोल्लाह ने कहा कि 2019 के चुनावों को लेकर सीट बटवारा काफि कठीन होगा। इतनी सारी पार्टियों के बीच सीटों का बंटवारा कर पाना मुश्किल है। उन्होंने यह भी कहा कि हो सकता हे कि सीट के मामले पर सभी पार्टियां आपस में हीं भिड़ जाएं।
Hannan Mollah,CPM on Opposition parties: It's difficult to distribute seats amongst so many parties.Opposition parties might fight among themselves.I don't think they'll be able to make common minimum program&fight together.Communist parties won't be able to stay in this alliance pic.twitter.com/O4apxWiuFn
— ANI (@ANI) February 14, 2019
सीपीएम नेता ने कहा कि यह बहुत मुश्किल लगता है कि 2019 के चुनावों के वक्त सभी पार्टियां कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के एजेंडे पर मान जाएं और एक साथ आकर चुनावी लड़ाई को लड़ें। उन्होंने आगे साफ कहाकि इस प्रकार के एलायंस का हिस्सा सीपीएम नहीं हो सकता है। उनके इस बयान से साफ हैं कि सीपीएम ने भी महागठबंधन से अलग होने की बात ठान ली है। वहीं यूपी में भी मायावती ने यह साफ कर दिया हैं कि वे कांग्रेस के साथ नहीं जाएंगी।
ऐसे में राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन को एकजुट रखने में कही न कहीं बड़ी मुश्किलें आ सकती है। वहीं बीजेपी बार—बार इसी बात को लेकर बोलती रही हैं कि महागठबंधन में कोई नेता नहीं है। उनका कोई एक चेहरा नहीं है। बीजेपी का यह कहना सीपीएम की ओर से आए इस बयान के बाद और भी सटीक हो गया है। ऐसे में बड़ी बात यह है कि क्या 2019 के चुनाव से पहले महागठबंधन के सभी दल कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत एकजुट हो पाते है या नहीं?