हाल के तीन वर्षों में, COVID-19 (कोरोनावायरस) ने दिन-प्रतिदिन के जीवन को प्रभावित किया है और वैश्विक अर्थव्यवस्था को धीमा करने वाले प्रमुख कारकों में से एक रहा है।
इस महामारी ने एक तरफ हजारों लोगों को प्रभावित किया है और साथ ही इसने हम सभी को अपने-अपने स्थानों पर रहने के लिए मजबूर कर दिया है, जहां लिंकेडिन पर कनेक्शन होने चाहिए, फेसबुक के लिए फॉलोवर्स समानार्थी हैं या लाइक स्वाभाविक रूप से जुड़े हुए हैं सोशल मीडिया उपस्थिति पर।
हर एक व्यक्ति इन छोटी होती जगहों में भी Covid-19 के नित नए रूपों से आशंकित है और अनजाने डर में जीने के लिए मजबूर है ।
लेकिन, इन सभी बुरी खबरों के बीच अब एक अच्छी खबर आयी है। वैकल्पिक चिकित्सा में स्थापित एक हस्ताक्षर डॉ. राजीव प्रकाश मेहरा द्वारा प्रकाशित हालिया अध्ययनों के अनुसार वैकल्पिक चिकित्सा ना केवल केरों बल्कि कैन्सर जैसी कई अन्य बीमारियों में भी कारगर सिद्ध हो रही है।
महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई के अंधेरी वेस्ट, में होम्योपैथी विशेषज्ञ डॉ. मेहरा ने मुंबई में ऑन्कोलॉजी के मामलों का इलाज करके अपना अलग मुक़ाम बनाया है।
अपने अध्ययन का हवाला देते हुए डॉ. मेहरा ने “स्वास्थ्य संवाद” टीम से बात की और बताया; “कैंसर के शिकार अक्सर कीमोथेरेपी को एकमात्र रास्ता मानते हैं लेकिन कई लोग यह महसूस करने में असफल होते हैं कि इससे कई अंग विफल हो सकते हैं। एक अध्ययन से पता चलता है कि 10 में से 8 लोग कीमो के बाद 3 साल से अधिक जीवित नहीं रहते हैं। और इलाज में जाने वाले पैसे के बम का जिक्र न करें। कैंसर एक अनुवांशिक बीमारी है। कीमोथेरेपी के उपचार से गुजरने के बाद 6 महीने की समय सीमा में इसकी पुनरावृत्ति होने की प्रवृत्ति होती है।”
इसके अलावा, वैकल्पिक उपचार की नयी तकनीकों पर जोर देते हुए, डॉ मेहरा ने कहा, “लोगों को यह समझने की जरूरत है कि सतही स्तर पर काम करने और शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुंचाने के बजाय, उन्हें जमीनी स्तर पर काम करना चाहिए और प्रोग्रामिंग को सही करना चाहिए ताकि कैंसर दोबारा नहीं होता है। यहां तक कि शिक्षित आबादी को भी कीमोथेरेपी के विकल्पों के बारे में जानकारी नहीं है।”
विस्तृत बातचीत यहां देखी जा सकती है: