जनता दल यूनाइटेड के राज्यसभा सदस्य किंग महेंद्र उर्फ महेंद्र प्रसाद का निधन हो गया है।बता दें कि महेंद्र ने दिल्ली के अपोलो अस्पताल में रविवार रात तकरीबन 12:30 बजे अंतिम सांस ली है।जनता दल यूनाइटेड सांसद लंबे समय से बीमार थे।वहीं उनका अस्पताल में लगातार इलाज चल रहा था।महेंद्र की उम्र तकरीबन 81 साल की थी।महेंद्र प्रसाद उर्फ किंग महेंद्र बिहार का प्रतिनिधित्व करने वाले सबसे धनी सांसदों में से एक थे और उनकी एरिस्टो फर्मास्यूटिकल तथा माप्रा लैबोलेटरीज प्राइवेट लिमिटेड के नाम से दो दवा कंपनियां भी हैं।बता दें कि वर्ष 1940 में जन्मे किंग महेंद्र जदयू से काफी लंबे समय से जुड़े हुए थे।इन्हें तेज-तर्रार रवैये के लिए भी जाना जाता था। इसके साथ ही वह प्रभावशाली पूंजीपति नेताओ में से एक थे।किंग महेंद्र ने 31 वर्ष की उम्र में अपनी खुद की कंपनी एरिस्टो फार्मास्यूटिकल शुरू कर दी थी।
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1985 से संसद सदस्य
आपको बता दें कि किंग महेंद्र वर्ष 1985 से राज्यसभा सदस्य थे और वह पहली बार साल 1980 में लोकसभा के लिए चुने गए थे तथा तीन दशक से भी ज्याद समय से वह संसद सदस्य रहे थे।गौरतलब है कि सबसे पहले वह कांग्रेस की तरफ से पार्लियामेंट पहुंचे थे और इसके बाद वह जनता दल से जुड़ गए थे।इसके बाद में किंग महेंद्र लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल से से राज्यसभा के लिए नामांकित किए गए थे।किंग महेंद्र ने राजद का दामन छोड़ कर जनता दल यूनाइटेड में शामिल हो गए थे।उन्हें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी ने लगातार 3 बार राज्यसभा भेजा था।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जताया दुःख
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जदयू के राज्यसभा सदस्य किंग महेंद्र के निधन पर गहरा शोक जताया है।इस दौरान उन्होंने सांसद के भाई उमेश शर्मा और पुत्र राजीव शर्मा को फोन कर सांत्वना दी है।बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि किंग महेंद्र के निधन से राजनीतिक और अधोगिक जगत को अपूरणीय क्षति हुई है।लंबे समय से किंग महेंद्र जदयू से जुड़े थे।
मुंबई चले गए थे युवा अवस्था में महेंद्र
गौरतलब है कि जहानाबाद के गोविंदपुर गांव में किंग महेंद्र का जन्म वर्ष 1940 में एक मध्यवर्गीय भूमिहार परिवार में हुआ था।महेंद्र में बचपन से ही बिजनेस करने का जुनून था।यही कारण था कि वह युवा अवस्था में ही मुंबई चले गए थे।तब वह न तो मुंबई शहर को जानते थे और न किसी प्रभावशाली व्यक्ति को जानते थे।इसी समय उन्होंने संप्रदा सिंह की फार्मा कंपनी में काम करना शुरू कर दिया था।संप्रदा सिंह का ताल्लुक भी जहानाबाद से ही था और वह भी एक भूमिहार परिवार से आते थे।