नितेश तिवारी फिल्म दंगल की बेजोड़ सफलता के बाद उनकी अगली फिल्म का सभी को बेसब्री से इंतजार था. ‘छिछोरे’ सभी की उम्मीदों पर खरी उतरी है. कॉलेज और हॉस्टल की यादों से जुड़ी हुई यह फिल्म एक दमदार संदेश देती है. जो सिर्फ युवाओं के लिए नहीं, बल्कि अभिभावकों के लिए भी जरूरी है. खबरों की माने तो ऐसी फ़िल्म अभी तक बॉलीवुड में बनी नहीं है. फिल्म की शुरुआत होती है अनिरुध (सुशांत सिंह राजपूत) और माया (श्रद्धा कपूर) से, जिनका बेटा इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा की वजह से मानसिक तनाव से गुजर रहा है. हर बच्चे की तरह उसे भी एक ही डर है, यदि वह स्पर्धा में सफल नहीं हुआ तो ‘लूजर’ कहलाएगा. लेकिन क्या जिंदगी एक स्पर्धा में जीतने से आगे कुछ नहीं? इसका जवाब फिल्म की कहानी में छिपा है और पूरी संवेदनशीलता के साथ बेहतरीन तरीके से पेश किया गया है. फिल्म की कहानी लूजर शब्द का सही मतलब समझाने के लिए अनिरुध अपने बेटे को अपनी कॉलेज लाइफ के किस्से सुनाता है.
यहां एक के बाद एक सभी किरदार सामने आते जाते हैं अनिरुध बन जाता है अन्नी और उसके साथी हैं सेक्सा, एसिड, मम्मी, डेरेक, बेवड़ा और माया. भारत के नंबर 1 इजीनियरिंग इंस्टिट्यूट में पढ़ रहे इन सातों की कॉलेज लाइफ आपको समय समय पर गुदगुदाती है. आपसी रिश्ते, दोस्ती, प्रतिस्पर्धा, जुनून और सकारात्मकता के साथ कहानी आगे बढ़ती है. फिल्म छिछोरे,फिल्म 3 इडियट्स की तरह ‘काबिल बनो, सफलता झक मार कर पीछे आएगी’ जैसा ज्ञान नहीं देती है. बल्कि हंसते हंसाते इस बात का अहसास दिलाती है कि हर बार जीतना जरूरी नहीं होता. फिल्म की एक सीन में अन्नी कहता है- सफलता मिलने के बाद का प्लान सभी सोचते हैं, लेकिन फेल होने के बाद क्या करना है ये कोई नहीं बताता. अभिनय की बात करें तो फिल्म में हर कलाकार को उम्र के दो पड़ाव में दिखाया गया है. लेकिन सुशांत सिंह राजपूत, श्रद्धा कपूर, वरुण शर्मा, तुषार पांडे, नवीन पॉलिशेट्टी, ताहिर भसीन, सहर्ष कुमार और प्रतीक बब्बर ने अपने किरदारों को पूरी सच्चाई के साथ निभाया है. कुछ सीन वाकई ठहाके मारकर हंसने को मजबूर करते हैं.
निर्देशन कॉलेज लाइफ पर बनी दूसरी फिल्मों से तुलना की बात की जाए तो यह जो जीता वही सिकंदर, स्टूडेंट ऑफ दि ईयर और 3 इडियट्स के आसपास आती है. लेकिन नितेश तिवारी का ट्रीटमेंट इसे बाकी फिल्मों से बिल्कुल अलग करता है. दंगल से हमे निर्देशक का कौशल पता चल चूका है , जिसकी झलक ‘छिछोरे’ में भी दिखती है. फिल्म की कहानी भी नितेश तिवारी द्वारा ही लिखी है. कहानी का पूर्वानुमान आप लगा सकते हैं कि इसे निर्देशन का ही कमाल कहेंगे कि क्लाईमैक्स तक फिल्म जनता को बांधे रखती है. प्रीतम द्वारा दिया गया संगीत ज्यादा असर नहीं छोड़ता. वहीं, सितारों के लुक्स पर थोड़ा और काम किया जा सकता था. चारु श्री रॉय की एडिटिंग एक मजबूत पक्ष है. कुल मिलाकर, नितेश तिवारी की फिल्म ‘छिछोरे’ हॉस्टल के गलियारों से होते हुए आपके दिलोदिमाग पर छाने की क्षमता रखती है. फिल्मीबीट की ओर से फिल्म को 3.5 स्टार मिले है.
Written by – Pooja Kumari
https://youtu.be/RElCphKPXdQ