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नयी आपदा से परेशान उत्तर बिहार

स्टेशन इनके आसरा हुआ करते थे पर लॉकडाउन के कारण ट्रेनों का परिचालन प्रभावित हुआ तो यह बंदर भी गांव की तरफ शिफ्ट कर गए

बंदरों के आतंक से सहमा हुआ है सम्पूर्ण उत्तर बिहार

बिहार के कई ज़िले आज कल एक नयी आपदा से सहमे हैं।

दरभंगा समस्तीपुर छपरा सीवान गोपालगंज मोतिहारी बेतिया समेत नेपाल के तराई के इलाके वाले जिलों में बंदरों ने लोगों का जीना दूभर कर रखा है।

पहले यह बंदर के बगीचों में आश्रय पाते थे जहां सालों भर विभिन्न पेड़ पौधों से खाने पीने की चीजें मिल जाया करती थी।

महुआ का पेड़ इन का सबसे बड़ा आश्चर्य हुआ करता था पर इनकी घटती संख्या ने इन बंदरों को गांव के बगीचे से गांव में शिफ्ट कर दिया।

पहले तो यह बंदर घर के छत ऊपर नजर आते थे इधर उधर धमाचौकड़ी करते थे पर अब यह पूरी तरह से आक्रामक हो गए हैं। खाने पीने की जरूरत पूरा करने के लिए अब यह लोगों पर हमला करते हैं। घरों में घुस जाते हैं छोटे बच्चों को नुकसान पहुंचाते हैं।

घर के किचन में रखी वस्तुओं को लेकर भाग जाते हैं। इनका झुंड गांव-गांव में 500 से 1000 की संख्या में हैं।

सबसे ज्यादा परेशानी छपरा और गोपालगंज के लोगों को है

छपरा से लेकर गोपालगंज तक रेलवे लाइन के किनारे के पेड़ और स्टेशन इनके आसरा हुआ करते थे।

कोरोना लॉकडाउन के कारण ट्रेनों का परिचालन प्रभावित हुआ तो यह बंदर भी गांव की तरफ शिफ्ट कर गए।

स्थिति इतनी विकराल है कि आए दिन कोई न कोई घटना घटती रहती है। अस्पतालों में बंदरों के काटने या घायल करने की कई घटनाएँ लेकर निवासी पहुँच रहे हैं।

स्थिति बहुत डरावनी है। बिहार की राजधानी पटना से 55 किमी पश्चिम में भोजपुर जिले के आरा स्थित सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ सतीश कुमार सिन्हा ने भी कहा कि बंदर के काटने से सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं में आने वाले मरीजों की सूची हर दिन बढ़ रही है।

यह भी पढ़ें: शर्मनाक : लॉकडाउन की उड़ायी धज्जियाँ, श्राद्ध कार्यक्रम में अश्लील गानों पर बार बालाओं का डांस

निवासियों ने लगायी गुहार

इलाके के जनप्रतिनिधियों से लोगों ने अपील की हैं कि इन बंदरों को यहां से दूसरे जगह हटाया जाए।

लेकिन वन विभाग भी इन बंदरों को पकड़ने में कोई रुचि नहीं दिखा रहा है।

बंदरों के साथ ही साथ उत्तर बिहार में जंगली सूअर और नीलगाय भी काल बनकर आए। ख़ास तौर से बंदरों के कारण घर के इर्द-गिर्द उगने वाली सब्जियां अब किसान नहीं उगाते हैं। वहीं खेतों में नीलगाय और जंगली सूअरों ने दलहन तिलहन और मकई की फसल को भारी नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है।

आलम यह है कि पहले यह बंदर लोगों से डरते थे पर यह आप लोगों पर हमला कर देते हैं। ऊपर से इन की प्रजनन दर काफी ज्यादा है। इस कारण से इनकी संख्या में तेजी से इजाफा होते जा रहा है।

अगर समय रहते बंदरों के समस्या पर कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया तो यह आने वाले समय स्थिति खतरनाक हो सकती है।

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