सेन्ट्रल डेस्क, अरफा जावेद- राफेल डील पर लगातार सियासत गर्माती जा रही है। शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के ज़रिए सबूतों के साथ पीएम मोदी पर हमला बोला है। उनका कहना है कि पीएम मोदी राफेल घोटाले में शामिल हैं। राहुल ने यह आरोप ‘द हिन्दू’ अख़बार में छपी एक ख़बर के आधार पर लगाया है। वहीं, राहुल के आरोपों और ‘द हिन्दू’ में छपी ख़बरों को सिरे से ख़ारिज करते हुए रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे गड़े मुर्दे उखाड़ने जैसा बताया है। बता दें कि रक्षा मंत्री ने राफेल मुद्दे पर लोकसभा में जवाब देते हुए कांग्रेस पर पलटवार किया है।
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राहुल ने लगाए आरोप
राहुल गांधी ने ‘द हिन्दू’ में छपी ख़बर को आधार बनाते हुए कहा कि वे सालभर से कहते आ रहे हैं कि पीएम मोदी राफेल घोटाले में शामिल हैं। उन्होंने आगे कहा कि पीएम मोदी ने एयर्फोर्स का 30 हज़ार करोड़ रुपये अनिल अंबानी की जेब में डाल दिया और अख़बार में छपी ख़बर से भी यह साफ ज़ाहिर होता है कि प्रधानमंत्री मोदी ने फ्रांस से सामानांतर बातचीत की थी। राहुल ने आगे कहा कि वे युवाओं और सुरक्षाबलों को बताना चाहते हैं कि पीएम मोदी ने डील की प्रक्रिया को दरकिनार करते हुए उनके 30 हज़ार करोड़ रुपये चुरा कर अपने मित्र अनिल अंबानी को दे दिए हैं।
राहुल ने कहा कि पहले फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने बताया था कि पीएम मोदी ने उन्हें 30 हज़ार करोड़ रुपये का अनुबंध अनिल अंबानी को देने के लिए कहा था। उन्होंने आगे कहा कि वे सख़्त शब्दों का इस्तेमाल नहीं करते हैं, लेकिन सख़्त शब्द इस्तेमाल करने के लिए विवश हो रहे हैं कि भारत के प्रधानमंत्री चोर हैं।
रक्षामंत्री ने किया राहुल के आरोपों पर पलटवार
लोकसभा में रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने राहुल के आरोपों और ‘द हिन्दू’ में छपी ख़बरों का खंडन करते हुए कहा कि ये गड़े मुर्दे उखाड़ने जैसा है। उन्होंने आगे कहा कि विपक्ष बहुराष्ट्रीय कंपनियों और निहित स्वार्थ से जुड़े तथ्यों पर खेल रहा है और विपक्ष की वायु सेना को मज़बूत बनाने में कोई रूचि नहीं है। इसके साथ-साथ उन्होंने ‘द हिन्दू’ की ख़बर को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि पीएमओ की ओर से विषयों के बारे में समय-समय पर जानकारी लेने को हस्तक्षेप नहीं कहा जा सकता है।
सीतारमण ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि यूपीए सरकार के दौरान राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) बनाया गया था, जिसकी अध्यक्ष सोनिया गांधी थीं और उनका पीएमओ में कितना हस्क्षेप था? उन्होंने आगे कहा कि यूपीए सरकार के दौरान एनएसी एक तरह से पीएमओ चला रही थी।
मीडिया की रिपोर्ट के संदर्भ में रक्षा मंत्री का कहना है कि अख़बार को एथिक्स का पालन करना चाहिए था और अगर अख़बार सच्चाई सामने लाना चाहता है तो उसे तब के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का बयान भी शामिल करना चाहिए था। बता दें कि पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का राफेल डील पर कहना था कि वे पीएम मोदी के फैसले से सहमत हैं और इसमें कोई चिंता की बात नहीं है।
द हिन्दू की रिपोर्ट
अंग्रेजी अख़बार द हिन्दू की ख़बर के मुताबिक जिस वक़्त रक्षा मंत्रालय राफेल डील को लेकर बातचीत कर रहा था, उस वक़्त प्रधानमंत्री कार्यालय भी अपनी ओर से फ्रांसीसी पक्ष से बातचीत में लगा हुआ था। अख़बार के मुताबिक, 24 नवंबर 2015 को रक्षा मंत्रालय के एक नोट में कहा गया था कि प्रधानमंत्री कार्यालय की दखल के चलते बातचीत कर रहे भारतीय दल और रक्षा मंत्रालय की पोज़िशन कमज़ोर हुई थी। इसके साथ-साथ रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि वो पीएमओ को ये सलाह दे सकते हैं कि कोई भी अधिकारी जो बातचीत कर रहे भारतीय टीम का हिस्सा नहीं है, उसे सामानांतर बातचीत नहीं करने दी जाए।