सेंट्रल डेस्क आयुषी गर्ग:- दिल्ली की अनाज मंडी में लगी आग से 43 जिदंगियां काल के गाल में समा गईं. इस भीषण आग की दर्दनाक दास्तां को शायद ही लोग भूलें. रविवार सुबह लगभग पांच बजे हुए हादसे ने कई परिवारों को कभी न भरने वाला जख्म दिया है. पांच मंजिला इमारत में चल रही अवैध फैक्ट्री में काम करने वाले ज्यादातर मजदूर बिहार के हैं. वे अपना काम खत्म कर के इसी बिल्डिंग में सो जाते थे. शनिवार रात जब वे सोने गए तो उन्हें इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि एक बेहद खौफनाक सुबह उनका इंतजार कर रही है. घटनास्थल पर मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों के बताए दास्तां को सुनकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो सकते हैं.
‘जो मैंने देखा वो पूरी जिंदगी नहीं भूल सकता’
19 साल के अरशद शेख दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्र हैं. रविवार की सुबह जब उनकी बहन ने उन्हें जगाया तो वे हादसे वाली जगह पहुंचे. उस समय एनडीआरएफ और दमकल विभाग के लोग बचाव कार्य में लगे हुए थे. उन्होंने देखा कि ये लोग इमारत की तीसरी मंजिल से दो लोगों को लेकर आ रहे हैं. शेख बताते हैं, ‘उनमें से एक शख्स को मैंने पानी दिया. दूसरा शख्स रोते और चीखते हुए कह रहा था कि एक साल पहले मेरी शादी हुई है, प्लीज मुझे बचा लो.’ लेकिन, एम्बुलेंस के पहुंचने के कुछ देर पहले ही उनकी सांसें थम गईं. अरशद शेख भारी गले से कहते हैं, ‘जो मैंने देखा वो मैं पूरी जिंदगी नहीं भूल सकता. इससे मुझे गहरा सदमा पहुंचा है.’
वहीं, बिहार के मुजफ्फरपुर के रहने वाले मोहम्मद सोनू की जब नींद से उठे तो वे धुएं के कारण हांफ रहे थे. हादसे वाली इमारत में लगी एक फैक्ट्री में सोनू के भाई मोहम्मद दुलारी काम करते हैं. वे कहते हैं, ‘मैं जब उठा तो देखा कि लोग बचाओ-बचाओ चिल्ला रहे थे. वे तब तक चिल्लाते रहे जब तक बेहोश न हो गए.’ राम मनोहर लोहिया अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में मौजूद सोनू ने कहा कि वहां काफी लोग थे. आग गेट में लगी और देखते ही देखते रूम तक पहुंच गई.
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