पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ मंगलवार यानी आज अफगानिस्तान की राजधानी काबुल का दौरा करेंगे। बता दे की काबुल में एक अंतर मंत्रालयी प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई करेंगे और इस दौरान सीमा पर बाड़ लगाने के मुद्दे पर चर्चा करेंगे। इसके साथ ही वे तालिबान के शासन वाले इस युद्धग्रस्त देश में मानवीय जरूरतों का आकलन करेंगे।
बता दे की अपनी दो दिवसीय काबुल यात्रा के दौरान यूसुफ अफगानिस्तान में मानवीय सहायता उपलब्ध कराने के तरीकों पर चर्चा करेंगे। दशकों से हिंसा और संघर्ष से पीड़ित रहे अफगानिस्तान में पिछले साल सत्ता परिवर्तन के बाद से हालात और गंभीर हुए हैं वही यहां के मानवीय संकट को हल करने के लिए संयुक्त जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों से चिंता जताई जा चुकी है।
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने बीती 13 जनवरी को चेतावनी दी थी कि लाखों अफगान नागरिक मौत की कगार पर हैं।और उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इन हालात को देखते हुए मदद की मांग करते हुए कहा था कि हमें 2022 में यहां मानवीय समस्याओं को दूर करने के लिए और देश को बेहतर भविष्य देने के लिए पांच अरब डॉलर की आवश्यकता है।
पाकिस्तानी अधिकारियों के मुताबिक वह उन अफगान शरणार्थियों को स्थानांतरित करने की योजना बना रहे हैं जो पाकिस्तान में शिक्षित और प्रशिक्षित हैं। अधिकारियों ने आगे कहा कि डूरंड रेखा पर सीमा पर बाड़ के मुद्दे पर भी एनएसए की यात्रा पर चर्चा की जाएगी। बता दे की इस मामले पर इस्लामाबाद और काबुल के बीच शुरू से ही विवाद की स्थिति रही है।
पाकिस्तान 2670 किलोमीटर लंबी इस सीमा रेखा पर बाड़ लगाने का करीब 90 फीसदी काम पूरा कर चुका है। हालांकि, अफगानिस्तान की ओर से सदियों पुरानी इस ब्रिटिश काल की सीमा रेखा को लेकर आपत्ति जताई जाती रही है।जिसे लेकर अफगानिस्तान का कहना है कि इस कदम से दोनों ही देशों के लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
पिछले साल अगस्त में दशकों से संघर्ष और अस्थिरता का सामना कर रहे अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान ने नियंत्रण पा लिया था।वही संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि तालिबान के कब्जे में आने के बाद अफगानिस्तान भले ही स्थिर दिख रहा है लेकिन यहां आधी आबादी अब भी भुखमरी से पीड़ित है और किसानों को सूखे की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।