सेन्ट्रल डेस्क- ऑस्कर 2019 में भारत को बड़ी सफलता मिली है। उत्तर प्रदेश के हापुड़ की लड़कियों के जीवन पर आधारित डॉक्यूमेंट्री ‘ पीरियड: एंड ऑफ सेंटेंस’ को 91 वें एकेडमी अवार्ड्स में बेस्ट डॉक्यूमेंट्री का पुरस्कार मिला है। इस डॉक्यूमेंट्री में दर्शाया गया है कि कैसे मौजूदा वक्त में भी भारत के गांवों में पीरियड्स को लेकर शर्म और डर है। ये डॉक्यूमेंट्री 25 मिनट की है, जिसका निर्माण भारतीय फिल्मकार गुनीत मोंगा ने किया है। बता दें कि गुनीत इस डॉक्यूमेंट्री से जुड़ी इकलौती भारतीय हैं। इस डॉक्यूमेंट्री को रायका ज़ेहताबी ने डायरेक्ट किया है।
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इस दुनिया की हर लड़की देवी है: गुनीत मोंगा
ऑसकर अवॉर्ड जीतने के बाद फिल्मकार गुनीत मोंगा ने ट्वीट किया, ‘ हम जीत गए, इस दुनिया कि हर लड़की, तुम सब देवी हो। अगर जन्नत सुन रही है।’ उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि पीरियड्स सामान्य हैं और किसी भी तरह से पीरियड्स एक लड़की को कुछ भी हासिल करने से नहीं रोकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि पीरियड एक वाक्य का अंत ज़रूर है, लेकिन एक लड़की की शिक्षा का नहीं।
गुनीत मोंगा ने एकेडमी का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि वे शुक्रगुज़ार हैं कि मेलिस्सा और रायका के साथ मिलकर उनका सपना साकार हुआ। इस सपने का समर्थन करने के लिए स्टेसी शेर और लिसा टैक का भी उन्होंने शुक्रिया अदा किया। इसके साथ-साथ उन्होंने नेटफ्लिक्स का भी शुक्रिया अदा किया है।
Hapur: Family of Sneha, one of the women appearing in 'Period. End of Sentence.' which won #Oscars for Best Documentary Short Subject celebrate in Kathikhera village. It's based on a group of women, including her, which led a revolution here against taboo surrounding menstruation pic.twitter.com/88Aaujjksy
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) February 25, 2019
ये है डॉक्यूमेंट्री की कहानी
इस डॉक्यूमेंट्री की शुरुआत में गांव की लड़कियों से पीरियड्स के बारे में सवाल पूछे जाते हैं। ये सवाल सुनकर लड़कियां शरमा जाती हैं। इसके बाद यही सवाल गांव के लड़कों से किया जाता है, जिसमें अलग-अलग तरह के जवाब सुनने को मिलते हैं। एक लड़का कहता है कि पीरियड वही है, जो स्कूल में घंटी बजने के बाद होता है। वहीं दूसरा लड़का कहता है कि उसने ऐसा सुना है कि ये एक बीमारी है, जो लड़कों को होती है।
डॉक्यूमेंट्री में हापुड़ की स्नेहा का अहम रोल है। स्नेहा पुलिस में भर्ती होना चाहती है और पीरियड्स को लेकर उसकी अलग सोच है। उसका कहना है कि जब दुर्गा को देवी मां कहते हैं तो औरतों के मंदिर जाने पर पाबंदी क्यों है। इस डॉक्यूमेंट्री में रियल लाइफ पैडमैन अरुणाचलम मुरंगनाथम की भी एंट्री होती है और उनके द्वारा बनाई गई सेनेटरी मशीन को गांव में लगाया जाता है।
https://www.youtube.com/watch?v=Qvq-Rtxr-SE