नगर थाने क्षेत्र के नाग मंदिर स्थित कर्ण क्लासेज के संचालक आनंद कुमार कर्ण सूदी कारोबारी से तंग आकर जहर खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की। उसे गंभीर स्थिति में सोमवार को डीएमसीएच में भर्ती कराया गया।
बताया जाता है कि कर्ण रविवार को अपनी पत्नी को लक्ष्मीसागर स्थित किराए के मकान में छोड़कर अपने मधुबनी जिले के मधेपुर थाने के बाट भगवानपुर गांव चले गए। जहां रात्रि में जहर खाकर उन्होंने आत्महत्या करने की कोशिश। स्थानीय लोगों की मदद से मधेपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया। जहां गंभीर स्थिति देखते हुए डीएमसीएच रेफर कर दिया गया। फिलहाल डॉ. आरके दास की यूनिट में इलाज चल रहा है।
सूचना मिलते ही एसएसपी बाबू राम के निर्देश पर बेंता ओपी प्रभारी ने आनंद कुमार कर्ण का बयान लिया। बताया कि उसका भाई कैंसर रोग से पीड़ित था। इस कारण से इलाज के लिए कई किश्तों में दस लाख रुपये उधार लिया। दस प्रतिशत के ब्याज के दर से 35 से 40 लाख रुपये वापस कर दिया। बावजूद, दिए गए हस्ताक्षर युक्त खाली चेक को दिखाकर 50 प्रतिशत की दर ब्याज देने का दबाव देने लगा। रुपये नहीं देने की स्थिति में धमकी देकर आत्महत्या करने के लिए प्रेरित करने लगा। इस मामले को लेकर मेरे पास कई वीडियो और ऑडियो का क्लीप है। जो वायरल भी हुआ है। कहा कि जान बचाने की नीयत से उन्होंने नगर थाने में प्राथमिकी भी दर्ज कराई। जिसमें सभी साक्ष्य भी उपलब्ध कराया। लेकिन, पुलिस से इंसाफ नहीं मिला। उलटे विभिन्न माध्यमों से सूद के साथ रुपये वापस करने का दबाव देने लगा। ऐसी स्थिति में मेरे पास आत्महत्या करने के अलावा कोई उपाय नहीं बच रहा था। पुलिस मदद करने को तैयार नहीं थी और आरोपित धमकी दे रहा था।
सूत्रों की माने तो सूद पर पैसा देने वाला पक्ष मीडिया से सम्बंधित है और आनन्द कर्ण के मामले में आनन्द कर्ण के एक रिश्तेदार मीडिया कर्मी ने इस मामले में अहम भूमिका भी निभाई थी। पत्रकारों की बैठक बुलाकर उक्त पत्रकार से मामले को रफ़ा दफा करने को कहा गया था। मामला शायद खत्म भी हो गया था और बाकी बचे पैसे न मांगे जाने पर आरोपी पत्रकार राजी भी हो गए थे। परंतु कुुछ मीडियाकर्मी द्वारा उक्त पत्रकार पर ज्यादा पैसे वसूले जाने के कारण एक बड़ी राशि जुर्माने के रूप में तय करकेे श्री कर्ण को देने का फरमान सुनाया गया।
आरोपी पत्रकार द्वारा इस फरमान को पूरा नही किया गया जिसके बाद पंचायत बिठाने वाले पत्रकार के निर्देश पर श्री कर्ण ने थाने में आवेदन दिया और कुछ पत्रकार उनके सहयोग में भी गए। परंतु दूसरी तरह आरोपी पत्रकार भी अदालत की शरण मे चले गए। इसप्रकार मामला फंस गया। जुर्माने की तय राशि नही मिलने, ऊपर से दूसरे पक्ष द्वारा भी श्री कर्ण द्वारा दिये गए चेकों आदि के साथ अदालत में चले जाने के कारण श्री कर्ण पर दवाब बढ़ गया और वे मानसिक तनाव में आ गए। जुर्माने की राशि मिलने की जगह उल्टे माफ हो चुके राशि की वसूली भी अदालत द्वारा वसूली का दवाब बढ़ने की आशंका ने उन्हें तनावपूर्ण स्थिति में ला दिया। माना जाता है कि इन्ही कारणों से त्रस्त होकर श्री कर्ण जहर खाकर आत्महत्या का प्रयास किया।
सूत्रों की माने तो पत्रकारो के साथ हुई पंचायत में जुर्माना की राशि तय करने से पूर्व श्री कर्ण केवल इतना ही चाहते थे कि उनपर जो वसूली का दवाब बना हुआ है, वह खत्म हो जाय और उन्हें अब पैसे नही देना पड़े। यह कार्य सहजता पूर्वक हो भी गया था। परंतु कुछ पत्रकारों द्वारा इसतरह की सूदखोरी को गलत ठहराते हुए आरोपी पर जुर्माने की राशि बांधने पर मामला बिगड़ गया। आरोपी ने इसे अदा नही किया जिसके बाद दोनों पक्ष कानूनी कार्यवाही में एक दूसरे के विरुद्ध चले गए थे।
दरभंगा से वरुण ठाकुर