पॉलिटिकल डेस्क: 2019 के लोकसभा चुनावों कोे लेकर सभी पार्टियों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी है. लोकसभा चुनाव 2019 में जहां 100 दिनों से भी कम का समय बचा हुआ है तो वहीं अब चुनाव में टिकटों को लेकर भी गहमागहमी तेज है. इसी बीच बड़ी खबर बीजेपी से सामने आ रही है. बीजेपी इस बार अपने कृषि मंत्री का टिकट काट सकती है. खबर है कि बिहार के पूर्वी चंपारण मोतिहारी से पांच बार के एमपी रहे राधामोहन सिंह का पत्ता इस बार बीजेपी काट सकती है. इस खबर के सामने आने के बाद से ही बिहार की राजनीति में बड़े उलटफेर होने की कयासे भी लगनी शुरू हो चुकी हैं.
प्राप्त जानकारी के अनुसार बीजेपी इस बार पूर्वी चंपारण की सीट पर अपना उम्मीदवार नहीं उतारने के मूड में भी दिख रही है. सूत्रों की माने तो बापूधाम मोमिहारी की सीट बीजेपी इस बार एनडीए में अपने सहयोगी दल जदयू को सौंप सकती है. आपको बता दें कि मोतिहारी से बीजेपी के सांसद राधामोहन सिह केन्द्र में कृषि मंत्री हैं. बतौर कृषि मंत्री राधामोहन की किरकिरी कई बार राष्ट्रीय मीडिया में भी हो चुकी है. वहीं सूत्रों की माने तो मोतिहारी के एमपी के कामों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी खुश नहीं हैं. वहीं उनके कामों को लेकर भी बापूधाम के लोग भी काफी नाराज चल रहें हैं. यहां के लोगों में सबसे ज्यादा नाराजगी चीनी मिल को दुबारा शुरू नहीं किए जाने को लेकर है.
नहीं चालू हो सकी है चीनी मिल
राधामोहन सिह के प्रति चम्पारण के लोगों में मनमुटाव चीनी मिल को लेकर है. यहां का चीनी मिल 2002 से ही बंद पड़ा है. वहीं इस चीनी मिल के वकर्स सरकार से इसे शुरू कराने और अपनी तनख्वाह दिलाने को लेकर आंदोलन कर रहे हैं.2014 में चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी ने अपने चंपारण दौरे के दौरान यहां के गांधी मैदान से ही चीनी मिल को शुरू करने का वादा किया था. लेकिन सरकार के बने साल बीतने को हैं और अभी तक इन लोगों को न्याय नहीं मिला है.
इस बीच एक बड़ी घटना यह हुई की चीनी मिल में काम करनेवाले मजदूरों ने आंदोलन शुरू कर दिया. वहीं 2017 में यही के दो मजदूरों ने आत्मदाह भी कर लिया था. लेकिन बावजूद इसके अभी तक सरकार का रुख यहां के चीनी मिल और इसके कामगारों को लेकर नहीं बदला है. चीनी मिल को शुरू करने को लेकर भी कोई कदम नहीं उठाए गए हैं.
यहां के श्री हनुमान चीनी मिल के पास श्रमिकों के साथ ही चीनी मिल के लिए गन्ना सप्लाई करने वाले किसानों का भी मिल पर अच्छा खासा बकाया है. प्रबंधन से इनका भुगतान जल्द करने की मांग की गई, लेकिन इस पर पहल होनी अब भी बाकी है. श्रमिक यूनियन के अनुसार मजदूरों का 60 करोड़ और किसानों का 17 करोड़ 41 लाख रुपये बकाया है. श्रमिक यूनियन के सचिव परमानंद ठाकुर की माने तो प्रबंधन से 60 करोड़ रुपये देने की मांग की गयी है. मिल के बंद होने के बाद से अब तक करीब 400 मजदूर रिटायर हो चुके हैं. बाकी मजदूर अब भी मिल में आते हैं और रजिस्टर पर हाजिरी लगाकर दिनभर बैठे रहते हैं. मिल के पास रिटायरो का भी बकाया है.
चीनी मिल डूबो देगी राधामोहन सिंह की नैया
वहीं जब नरेंद्र मोदी 2018 में स्वाछाग्रह कार्यक्रम को लेकर यहां पहुंचे तो उनकी ओर से भी इन लोगों को कोई राहत नहीं मिली. पीएम मोदी के कार्यक्रम स्थल से कुछ ही दूर 50 वर्षीय सूरज बैठा की पत्नी माया देवी व 48 वर्षीय नरेश श्रीवास्तव की पत्नी पूर्णिमा देवी थीं ने चीनी मिल के अन्य वर्कस के साथ मौन सत्याग्रह किया था.
ऐसे में मोतिहारी में इस बार के लोकसभा चुनावों को लेकर बड़े उलटफेर होने की कवायद लग रही है. वहीं इस उलटफेर के पीछे चीनी मिल को बड़े फेक्टर के रुप में देखा जा रहा है. यहां के किसान भी कृषि मंत्री से ज्यादा खुश नहीं हैं. वहीं बेरोजगार युवाओं में भी राधामोहन सिंह को लेकर क्रेज पहले से घटा है.
ताबूत की अंतिम कील साबित होगी मोतिहारी चीनी मिल
मोतिहारी चीनीमिल के मामले को लेकर मोतिहारी में महागठबंधन भी राधामोहन सिंह और बीजेपी को पूरी तरह से घेरने में लगी है. रालोसपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और मोतिहारी से महागठबंधन के संभावित उम्मीदवार माधव आनंद ने कहा कि मोतिहारी के चीनी मिल अभी तक शुरू नहीं हो सकी है. केंद्रीय कृषि मंत्री के क्षेत्र में बंद पड़ी चीनी मिल अभी तक स्टार्ट नहीं होना शर्म की बात है. उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार के बावजूद मोतिहारी के गन्ना किसानों की कोई सुनने वाला नहीं है.
उन्होंने किसानों को और चीनी मिल को राधामोहन सिंह के लिए ताबूत की अंतिम कील बताया है. राधामोहन सिंह को अहंकारी बताते हुए माधव आनंद ने कहा कि वे समझ रहे हैं कि जिस तरह से जनता ने 25 साल से उन्हे चुना है इस बार भी बिना काम के उन्हे चुन लेगी. लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा. मोतिहारी की सीट समेत महागठबंधन बिहार की सभी 40 सीटों पर अपना एकाधिकार करेगी और एनडीए का खाता भी नहीं खुलेगा.