सुप्रीम कोर्ट ड्यूटी के दौरान भीड़ के हमलों का शिकार होने वाले सुरक्षा बलों के जवानों के मानवाधिकारों के संरक्षण के लिये दायर याचिका पर सोमवार को सुनवाई के लिये सहमत हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, रक्षा मंत्रालय, जम्मू और कश्मीर और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। दरअसल, दो सैन्य अधिकारियों की बेटियों ने सुरक्षा बलों के कर्मियों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए एक नीति बनाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
NEWS 10 INDIA की लेटेस्ट खबरें और अपडेट्स जानने के लिए आप हमारे FACEBOOK पेज को लाइक करना ना भूलें। नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें ।
उन्नीस वर्षीय प्रीति केदार गोखले और 20 वर्षीय काजल मिश्रा ने हमला करने वाली भीड़ के खिलाफ सशस्त्र बलों के जवानों के अधिकारों की रक्षा के लिए व्यापक नीति बनाने के लिए केंद्र से दिशा-निर्देश मांगा है जो ड्यूटी के दौरान उन पर हमला कर रहे हैं। दोनों बच्चों द्वारा दायर याचिका पर भारत सरकार, रक्षा मंत्रालय, जम्मू और कश्मीर और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पक्षकार बनाया है।
सुरक्षा बलों के मानवाधिकारों का ड्यूटी के दौरान उल्लंघन होता है। उनपर उग्र भीड़ और लोग पथराव और हमले करते हैं। इससे उनके स्वतंत्रता और जीवन के मानवाधिकार का उल्लंघन होता है। याचिका में कहा गया है कि जम्मू कश्मीर में हिंसा भड़कने के दौरान सुरक्षा बलों की जान को खतरा रहता है। उन्हें अपनी ड्यूटी करने में परेशानी होती है। लेकिन इस ओर सरकार और संस्था किसी के द्वारा कोई कदम नहीं उठाया जाता। जिसके चलते उन्हें सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है।
NEWS 10 INDIA की खबरों को और अधिक विस्तार से जानने के लिए अब आप हमें Twitter पर भी फॉलो कर सकते है । क्लिक करें नीचे दिए लिंक पर ।
जिन लड़कियों ने याचिका दायर की है, उनमें से एक के पिता अभी सेना में नौकरी करते हैं। वहीं दूसरी लड़की के पिता सेवानिवृत हो चुके हैं। इनका कहना है कि जम्मू कश्मीर के सोपियां जैसे हिंसा वाले क्षेत्रों में आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई के दौरान सेना के जवानों और उनके काफिले पर पथराव किया जाता है। इससे वह काफी परेशान हो गई थीं।
यह भी देखें
https://www.youtube.com/watch?v=LyKHQ-nt_c4