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दुनिया ढूंढ लेती है निगाहें तेज़ है इसकी तू कर हुनर पैदा आहिस्ता आहिस्ता, रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित पत्रकार रवीश कुमार

पत्रकार रवीश कुमार को इस साल के रेमन मैग्सेसे पुरस्कार के लिए चुना गया है। यह देश और समाज दोनों के लिए गर्व की बात है रवीश कुमार देश के ऐसे छटे नागरिक है जिनको यह पुरस्कार मिला है। आचार्य विनोबा भावे पहले भारतीय थे जिन्हे इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था । मदर टेरेसा पहली भारतीय महिला थी जिन्हे इस पुरुस्कार से सम्मानित किया गया था। 12 साल के बाद एक बार फिर भारतीय पत्रकार को रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड मिला है। भारत के वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार को इस साल के रेमन मैग्सेसे पुरस्कार के लिए चुना गया है। इस पुरस्कार को नोबेल पुरस्कार का एशियाई संस्करण माना जाता है। 31 अगस्त, 2019 को आयोजित होने वाले आधिकारिक समारोह में मैग्सेसे पुरस्कार से भारतीय वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार को सम्मानित किया गया।
बता दें कि रेमन मैग्सेस पुरुस्कार एशिया के व्यक्तियों और संस्थाओ को उनकों अपने क्षेत्र में विशेष रूप से उल्लेखनीय कार्य करने के लिए प्रदान किया जाता है।

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1957 में शुरू हुए पुरस्कार को एशिया का सर्वोच्च सम्मान माना जाता है। रेमन मैगसेसे पुरस्कार प्रत्येक वर्ष फिलीपीन के पूर्व राष्ट्रपति रेमन मैगसेसे की याद में उन लोगो को दिया जाता है। जिन्होंने शासन में ईमानदारी, लोगो क साहसी सेवा और लोकतंत्र समाज के भीतर व्यवहारिक आदर्शवाद की मिसाल कायम की हो। यह पुरस्कार अप्रैल 1957 में फिलीपीन सरकार की सहमति से न्यूयार्क शहर स्थित रॉकफेलर ब्रदर्स फंड के संस्थाओ द्वारा स्थापित किया गया था।

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यह सच है ये दुनिया ढूंढ लेती है निगाहें तेज़ है इसकी तू कर हुनर पैदा आहिस्ता आहिस्ता
तख़य्युल में बुलंदी औ कलम में सच्चाई रहवर। निखर आएगी यह काबिलियत आहिस्ता आहिस्ता।
कविता के बोल है जो कलम की सच्चाई की काबिलियत की ओर संकेत  करती है। किसी भी एक सच्चे ईमानदार पत्रकार की अपनी खुद की दुनिया बढ़ी पेचीदगी होती है और कई बार उसके लिखे हुए के जरिये कभी कभी उसे नहीं पहचाना नहीं जा सकता है। पत्रकार या लेखक का संघर्ष उसके सामाजिक यथार्थवाद की गहराई समझाना उसकी खास आदते, उसकी जीवन शैली को हैरान कर देने वाले पक्ष  पत्रकारिता  द्वारा समाज के वास्तविकता प्रत्यक्ष रूप से नजदीक लाते है। पत्रकार रवीश कुमार की पत्रकारिता ने साबित किया सच्चाई कभी नहीं हारती वो किसी भी मायने में हमेशा सर्वोपरि रहती है। पत्रकारिता ही समाज की गरीब शोषण वर्ग समूह की एक मूक आवाज़ होती है उसके लेखन में किस तरह एक वर्ग समाया होता है। वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार के जीवन उनके अनुभव पत्रकारिता के प्रति निष्ठां सच्चाई को सिर्फ तारीफ के दो  शब्दों में नहीं जाहिर किया जा सकता। देश को ऐसे पत्रकार पर गर्व होना चाहिए। जिन्होंने अपनी पत्रकरिता की काबियत से सामाजिक समस्या के पहलुओं की आवाज़ उठाने के लिए सत्ता के बिरुद्ध संघर्ष किया और समाज के बीच पत्रकारिता की वशिष्ट पहचान बनाई। इस देश और समाज को उनकी पत्रकारिता के प्रति सच्चाई ईमानदार व्यक्तित्व  निष्ठा सत्ता के प्रति संघर्ष उनके साहस  पर गर्व है। उन्होंने भारतीय पत्रकारिता की दुनिया का सबसे बेहतरीन उदहारण पेश किया है।

EDITOR BY- RISHU TOMAR 

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