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पिछली सरकार में मंत्री थे, लेकिन इस बार उनकी पद से छुट्टी

हर वर्ग के लोगों को विशेष ध्यान में रखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कैबिनेट मंत्री का चुनाव किया। अगर तुलना किया जाये 2014 की तो कुछ कुछ उलटफेर देखने को मिला है। वहीं बीजेपी के तरफ से बयान आया  कि इस मंत्रिमंडल में जोश और अनुभव को तरजीह दिया गया है।

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आइए कुछ नेता के बारे में जानता है जो पिछली सरकार में मंत्री थे लेकिन इस बार उनकी पद से छुट्टी कर दी गई है।

 सुषमा स्वराज को 2014 में ‘विदेश मंत्रालय’ का पद सौंपा गया था । उनके शानदार काम को देख कर कयास लगाया जा रहा था कि 2019 में फिर उनको देखा जा सकता है। लेकिन, सेहत का हवाला देकर इस सरकार में सुषमा शामिल होने से इंकार कर दिया।


अरुण जेटली पिछली सरकार में ‘वित्त मंत्री’ थे। लेकिन, इस सरकार से बाहर है। उन्होंने सेहत का हवाला देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर अपील की मुझे जिम्मेदारी नहीं सौंपी जाए।

महेश शर्मा पिछली सरकार में ‘केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री’ थे। लेकिन, इस वार मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया।

सुरेश प्रभु पिछली सरकार में ‘केंद्रीय रेल मंत्री थे बाद में उन्हें वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री बनाया गया।’ लेकिन, 2019 सरकार में सुरेश प्रभु को जगह नहीं मिल पाई।

जेपी नड्डा पिछले कार्यकाल में ‘स्वास्थ्य मंत्री’ थे। इस बार उनका नाम मंत्रियों की सूची में शामिल नहीं था। कयास लगाया जा रहा है कि अमित शाह के स्थान पर बीजेपी के अध्यक्ष के तौर पर पद ग्रहण करेंगे।

राजवर्धन सिंह राठौड़ पिछले कार्यकाल में  ‘खेल एवं सूचना प्रसारण मंत्रालय’ का भार मिला।  लेकिन, इस मंत्रिपरिषद में शामिल नहीं किया गया।

मेनका गांधी पिछली सरकार में ‘केंद्रीय मंत्री’ थी। लेकिन, इस सरकार में शामिल नहीं किया गया।

उमा भारती पिछली सरकार ने ‘केंद्रीय मंत्री‘ थी। लेकिन, 2019 मंत्रिपरिषद अनदेखा कर दिया गया दिया गया ।

मनोज सिन्हा पिछली सरकार में ‘केंद्रीय मंत्री’ थे। इस बार चुनाव हरने के बावजूद उम्मीद था कि उनको मंत्रिपरिषद बनाया जा सकता है। लेकिन, उनको जगह नहीं मिल पाई।

रामकृपाल यादव पिछली सरकार में रामकृपाल यादव ‘केंद्रीय मंत्री’ थे। इसबार पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर लालू यादव की बेटी मीसा भारती को हराने के बाद उम्मीद था की रामकृपाल यादव को मंत्री नहीं बनाया जायेगा। लेकिन, जगह बनाने में नाकामयाब रहे।

अनंत कुमार हेगडे पिछली सरकार में ‘केंद्रीय मंत्री’ थे। लेकिन, जगह बनाने में नाकामयाब रहे।

शिव प्रताप शुक्ला पिछली सरकार में ‘राज्यमंत्री’ थे। लेकिन, इस बार मंत्रिमंडल में नहीं शामिल किया गया ।

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