सेंट्रल डेस्क आयुषी गर्ग:- पाकिस्तान का परमाणु प्रसार एक बार फिर जांच के दायरे में आ गया है, क्योंकि तुर्की ने परमाणु बम बनाने की इच्छा जाहिर की है। लगभग 15 साल पहले पाकिस्तान के परमाणु तस्कर अब्दुल कादिर खान ने इस बात को स्वीकार किया था कि उसने कुछ देशों को परमाणु तकनीक बेची और उसका अवैध निर्यात किया था।
यह मामला अब एक बार फिर से गर्म हुआ है क्योंकि तुर्की के राष्ट्रपति रेसे तैय्यप एर्दोगन ने पार्टी के एक कार्यक्रम के दौरान तुर्की को परमाणु शक्ति वाला देश बनाने की इच्छा जाहिर की है। उनके इस बयान ने अमेरिका में हलचल पैदा कर दी है।
रिपोर्ट के मुताबिक तुर्की पहले से ही बम बनाने के प्रोग्राम पर काम कर रहा है। उसके पास यूरेनियम का भंडार है और रिसर्च रिएक्टर हैं । उसके दुनिया के मशहूर परमाणु तकनीक की कालाबजारी करने वाले पाकिस्तान के अब्दुल कादीर खान के साथ संदिग्ध रिश्ते हैं। खान के नेटवर्क पर लंदन के थिंकटैंक इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रेटेजिक स्टडीज ने खान के परमाणु कालाबजारी के नेटवर्क पर एक शोध किया है।
रिपोर्ट में बतया गया है कि पाकिस्तान के इस परमाणु वैज्ञानिक पर उत्तर कोरिया, ईरान और लीबिया को परमाणु तकनीक बेचने का आरोप है। अब खुफिया रिपोर्ट की मानें तो इस तरह की चर्चाएं हैं कि तुर्की उसका चौथा ग्राहक है।
दरअसल एक कार्यक्रम के दौरान तुर्की के राष्ट्रपति ने कहा, “कुछ देशों के पास परमाणु युद्धक वाली मिसाइलें हैं। लेकिन पश्चिम का कहना है कि हम उन्हें नहीं बना सकते। इसे मैं स्वीकार नहीं कर सकता।” न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट ने सोमवार को सवाल उठाते हुए कहा, “यदि अमेरिका तुर्की नेता को अपने कुर्द सहयोगियों को बर्बाद करने से नहीं रोक सका तो वह कैसे उन्हें परमाणु हथियार बनाने से रोकेगा या ईरान की तरह परमाणु तकनीक को इकट्ठा करने से कैसे रोक सकता है?”
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