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दिल्ली रोजगार मेले की हकीकत, जॉब देने वाली कंपनियों के काउंटर पर उमड़ी बेरोजगार युवाओं की भीड़

सेंट्रल डेस्क, साहुल पाण्डेय:  दिल्ली त्यागराज स्टेडियम में सोमवार से शुरू किए गए दो दिवसीय रोजगार मेले के आखिरी दिन बेरोजगार युवाओं का जन सैलब उमड़ पड़ा, दिल्ली में आयोजित किए गए इस मेले मे रोजगार पाने आए बहुत से युवा नौकरी हासिल करने में समर्थ रहे तो कई सारे युवााओं को खाली हाथ ही घर लौटना पड़ा। नौकरी देने वाली इन कंपनियों में पतंजलि, ओला, इंडिया बुल्ज़, टाइम्स ऑफ़ इंडिया और एलआईसी जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं. दिल्ली सरकार द्वारा आयोजित यह रोज़गार मेला पिछले कुछ सालों से हर साल आयोजित किया जा रहा है

इस रोज़गार मेले में पहुँचे अधिकतर लोगों को यही शिकायत है कि उन्हें उनकी योग्यताओं और अनुभव के अनुरूप रोज़गार नहीं मिल रहा.महारानी बाग में रहने वाले 23 साल के रौनक़ सोलंकी कहते हैं, “मैंने बीटेक किया है और मुझे एक साल का अनुभव भी है. लेकिन यहां मुझे 22 हज़ार रुपए महीने की नौकरी मिल रही है. इससे ज़्यादा तो एक बीटेक ग्रेजुएट को कॉलेज से पास होते ही मिल जाते हैं.” रौनक़ आगे कहते हैं, ”मैं यहां इसलिए आया था ताकि मुझे कुछ बेहतर विकल्प मिल सकें. लेकिन यह मेला हमारे लिए नहीं, कंपनियों के लिए है. ताकि उन्हें सस्ते में काम करने वाले कर्मचारी मिल सकें.”

दिल्ली के रोज़गार निदेशालय में बतौर अनुभाग अधिकारी कार्यरत राजेश तंवर बताते हैं, “हमारे पास शॉर्ट लिस्ट किए गए लोगों का ही आँकड़ा मौजूद है. अंततः कितने लोगों को नौकरी मिली यह आँकड़ा हमारे पास नहीं होता क्योंकि फ़ाइनल सलेक्शन यहां नहीं होता. यहां से कंपनियाँ लोगों को शॉर्ट लिस्ट करती हैं और फिर चयन का अगला राउंड कंपनी में ही होता है. इसलिए हमारे पास सिर्फ़ शॉर्ट लिस्ट किए गए लोगों की ही संख्या होती है.”

राजेश तंवर यह भी कहते हैं, “शॉर्ट लिस्ट किए गए अधिकतर लोगों को नौकरी मिल ही जाती है.”

मेले में पहुँचे कई लोग शॉर्ट लिस्ट होने पर ख़ुश भी हैं लेकिन यहां आए अधिकतर लोग सुमित की तरह ही निराश होकर लौट रहे हैं. लेकिन रोज़गार निदेशालय के लिए यह आयोजन सफल रहा है क्योंकि आँकड़े बताते हैं कि इस बार पिछले साल से भी ज़्यादा लोगों ने इसमें भाग लिया है.

निदेशालय के अनुभाग अधिकारी राजेश तंवर कहते हैं, “सुबह से शाम तक क़रीब 25 हज़ार से ज़्यादा लोग यहां पहुँचे हैं. उम्मीद है मेले के दूसरे दिन भी काफ़ी लोग आएँगे. रोज़गार देने वाली कंपनियों ने भी इस बार ख़ूब पहुँची हैं. बल्कि कई कंपनियाँ तो ऐसी भी थी जिन्होंने बिल्कुल लास्ट में पंजीकरण किया तो उनके लिए स्टॉल की भी व्यवस्था नहीं हो सकी. लेकिन फिर भी आयोजन का पहला दिन काफ़ी अच्छा रहा.”

शाम के 3 बजे तक ‘रोज़गार मेले’ की भीड़ लगभग पूरी तरह छँट चुकी है. हल्की बारिश भी शुरू हो गई है और यहां मौजूद ज़्यादातर युवा अपने सर्टिफ़िकेट, मार्कशीट और अन्य दस्तावेज़ों को किसी तरह भीगने से बचाने के लिए जूझ कर रहे हैं. त्यागराज स्टेडियम के कैन्वस पर बेरोज़गारी की जो तस्वीर आज बनी थी, वह इस बारिश में भीगकर अब और भी बुरी दिखने लगी है.

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