अमेरिकी विदेश विभाग के आंकड़ों के मुताबिक , भारत को कोविड -19 महामारी 2020 के पहले वर्ष में पिछले वर्ष की तुलना में अधिक आतंकी हमलों का सामना करना पड़ा. इनमें से 37% हमले जम्मू और कश्मीर में हुए और साल 2020 में 98 देशों में 10,172 आतंकी हमले हुए
अमेरिकी विदेश विभाग ने किया दावा- महामारी के दौरान भारत में बढ़े आतंकी हमले
जो साल 2019 में दर्ज की गई घटनाओं की तुलना में 1,300 अधिक हैं वही पिछले साल भारत में आतंकवाद से संबंधित 679 घटनाएं हुईं, जिनमें 567 लोग मारे गए अमेरिकी आंकड़ों के अनुसार 2019 में देश में 655 आतंकी हमले दर्ज किए गए
भले ही भारत पिछले साल सबसे अधिक आतंकवाद की घटनाओं के लिए शीर्ष 10 देशों की सूची में है मगर यह इन हमलों में हताहत होने वाले लोगों के आधार पर यह टॉप टेन की लिस्ट में नहीं था. बता दे की अफगानिस्तान में 1,722 आतंकवादी हमले हुए वहीं सीरिया में1,322 और डीआर कांगो में 999 में हमले हुए,
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अमेरिकी आंकड़ों के मुताबिक भारत में जिन राज्यों में सबसे ज्यादा आतंकी घटनाएं हुईं, उनमें जम्मू और कश्मीर में 257 घटनाएं , छत्तीसगढ़ में 145 घटनाएं और झारखंड में 69 घटनाएं हुई थीं.
इसके अलावा केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार साल 2020 में जम्मू-कश्मीर में 244 आतंकी हमले हुए थे और सरकार ने इस डेटा को इस साल 23 मार्च को संसद में साझा किया था केंद्र ने कहा है कि साल 2019 में 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं में कमी देखि गई है और घाटी में प्रमुख आतंकी नेटवर्क को सुरक्षा बलों ने नष्ट कर दिया है
भारतीय एजेंसियां आतंकवादी खतरों को रोकने में प्रभावी
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आपको बता दे की अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘भारतीय सुरक्षा एजेंसियां आतंकवादी खतरों को रोकने में प्रभावी हैं,
अमेरिकी आंकड़ों के मुताबिक भारत में हुए आतंकी हमलों में सीपीआई-माओवादी कुल आतंकी हमलों में से 44% के पीछे थे, जबकि लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन सभी घटनाओं के 6% के लिए जिम्मेदार थे और रिकॉर्ड के अनुसार, 29% आतंकी घटनाएं भारत में किसी भी संगठन ने जिम्मेदारी नहीं ली
बता दे की ‘महामारी ने दुनिया भर में कई आतंकवादी समूहों को अपनी गतिविधियों को फिर से संगठित करने और मजबूत करने का अवसर दिया क्योंकि पिछले एक वर्ष में कोविड के प्रकोप को रोकने और लॉकडाउन लागू करने पर अधिक ध्यान दिया गया इसके अलावा भारत में वामपंथी चरमपंथी समूहों के लिए भी यही कहा जा सकता है