सेंट्रल डेस्क, फलक इक़बाल:-हर पेशे में ये कहते है कि अपने काम में हमेशा अपडेट रहना ज़रूरी है अगर ऐसा न करोगे तो पीछे रह जाओगे। देखा जाये तो जुर्म भी एक तरह का पेशा ही है। तो ज़ाहिर सी बात है कि इस मशवरे को अपराधी भी अपनाते ही होंगे। ऐसा ही कुछ बिहार में हुआ है। बिहार के कुछ छटे हुए बदमाशों ने टेक्नोलोजी के इस्तेमाल से जुर्म को भी हाईटेक बना दिया है। इसके लिए बाकायदा 22 अपराधियों की एक टीम बनाई गई थी। टीम का एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया और इसके साथ ही जुर्म के तरीके को एक नया रूप दिया गया।
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यहाँ है बात चीत के कुछ हिस्से।
यूज़र 1– अगला प्लान क्या है?
यूज़र 2– बैंक लूटना है
यूज़र 1– कौन सा बैंक?
यूज़र 2– एसबीआई
यूज़र 1– मगर उसमें तो हथियारों की ज़रूरत पड़ेगी
यूज़र 2– ये चलेंगे.. (हथियार और पिस्टल की फोटो भी)
यूज़र 1– सही है भाई, लेकिन कितने हथियारों की ज़रूर पड़ेगी
यूज़र 2– डोंट वरी.. सब इंतज़ाम हो गया है.
यूज़र 1– तो कब का प्लान है?
यूज़र 2– जल्दी ही करेंगे तैयार रहना
भाई नाम के इस व्हाट्सएप ग्रुप पर बैंक लूटने की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। कब.. कहां.. कैसे वारदात को अंजाम दिया जाएगा। और इसमें कौन-कौन शामिल होगा। ये भी तय किया जा चूका है। हथियारों की तस्वीरें ग्रुप पर ही शेयर कर दी गई हैं। अब बस लूट की तैयारी बाकी थी।
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। जब लूट की प्लानिंग, प्लॉटिंग और एक्शन के लिए इस भाई नाम के व्हॉट्सएप ग्रुप का इस्तेमाल किया गया हो। क्योंकि ये ग्रुप बना ही था भाई लोगों के लिए। भाई यानी बदमाश टाइप लोगों के लिए। और इस ग्रुप में एक दो नहीं पूरे के पुरे 22 खूंखार अपराधी जुड़े हुए थे। और सुमित उर्फ राजा नाम का एक बदमाश इस ग्रुप का एडमिन है। एडमिन यानी ऐसा शख्स जो जीआरपी को पूरी तरह मैनेज कर रहा हो
विस्तार से बताये तो छटे हुए बदमाशों ने आपस में एक दूसरे को अपनी रंगबाज़ी दिखाने के लिए इस ग्रुप को बनाया था। परन्तु वह सभी इस बात से बलकुल अनजान थे की यह एक दिन उन्ही क लिए मुसीबत बन जायेगा। देखा जाये तो इस ग्रुप की बुनियाद ही भाईगीरी के लिए हुई थी। तो इसमें चर्चाएं भी ऐसी ही होती थीं। जैसे किसने कितने अपराध को अंजाम दिया, किसका किसने मर्डर किया, दुकान.. मकान किसने लूटा। किस अपराधी के पास कौन सा हथियार है इसकी जानकारी भी यही मिल जाती थी। यहाँ ताकक के यह सभी अपराधी अपनी शोखी बघारने के लिए इस तरह की बातें भी करते थे जैसे, मेरी लूट की ख़बर देखी या पढ़ी, इत्यादि। इस भाई ग्रुप के अपराधी ना सिर्फ अपनी अपराधिक गतिविधियों को खुद कबूलते थे, बल्कि उनकी आपराधिक वारदातों की अखबार में छपी खबरों और टीवी पर चले वीडियोज़ को शेयर कर दूसरे अपराधियों पर रौब भी झाड़ते थे। और तो और इस ग्रुप पर ही हथियारों और बम, बारूद और गोलियों की बोली भी लगाई जाती थी।
वारदात की ख़बर को शेयर कर भाई का जलवा बताने वाला एक मैसेज था , जिसमें लिखा है ‘देखा भाई का जलवा.’ और अखबार में छपी वारदात की खबर और क्लिप को भी दिखाया था। इतना ही नहीं यहां भाई नाम के इस व्हाट्सएप ग्रुप पर हथियारों की नुमाइश और उनकी बोली लगाने वाले ये मैसेज भी हैं और बैंक लूट की प्लानिंग भी।
पिछले कुछ दिनों में बिहार के वैशाली ज़िले के इर्द-गिर्द हुई कई वारदातों का सीधा लिंक इस भाई नाम के व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ा हुआ है। उन सभी वारदातों का संबंध सीधे इस ग्रुप से जुड़े 22 खतरनाक गैंगस्टर से है। इनमें वैशाली जिले के जंदाहा में 1 जनवरी को ज्वेलर्स को गोली मारकर लाखों के जेवरात लूटने की वारदात हो या उसके 4 दिन पहले जंदाहा में ही एक के बाद एक तीन दुकानों में लूट की वारदात।
इतना ही नहीं पिछले दिनों तीन पुलिस वालों की हत्या और उनकी पिस्टल लूटने का आरोपी भी इसी ग्रुप में से है । ग्रुप एडमिन सुमित उर्फ राजा तो ना सिर्फ एक वॉन्टेड अपराधी है बल्कि बैंक लूट में जेल भी जा चुका है। जुर्म की दुनिया में टेक्नॉलजी पर आधारित सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर इन 22 अपराधियों ने बिहार के पुलिस डिपार्टमेंट और खासकर वैशाली पुलिस की नाम में दम कर दिया था। मगर पुलिस ने इस ग्रुप के एडमिन समेत 5 अपराधियों को धर दबोच कर व्हॉस्टअप के इस भाई ग्रुप में कोहराम मचा दिया है। माना जा रहा है जल्द ही भाई ग्रुप के बाकी बचे 17 अपराधियों को भी पुलिस पकड़ ले।