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उत्तर प्रदेश: मायावती पर हमले से लगा दूसरा कलंक

उत्तर प्रदेश बसपा सरकार -मायावती पर हमले से लगा दूसरा कलंक


बता दे की 1993 में सपा से गठबंधन के बाद बसपा को 67 सीटें मिलीं तो कांशीराम ने समझ लिया कि जिस दिन यह संदेश देने में कामयाब हो जाएंगे कि वह सरकार बना सकते हैं, वंहा से बसपा के लिए सबसे बड़े दल के रूप में उभरने में कोई बाधा नहीं आएगी। बताया जा रहा है की उन्होंने मायावती को उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया। प्रभारी के रूप में वे अप्रत्यक्ष रूप से पूरी सरकार ही चलाने की कोशिश करने लगीं।

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बसपा ने सपा सरकार से ले लिया समर्थन

जंहा खफा होकर मुलायम सिंह यादव बसपा से पीछा छुड़ाने की कोशिश करने लगे। बताया जा रहा है की मुलायम यादव की मायावती से तल्खी बढ़ी तो कांशीराम भी उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ आ गए। बता दे की बसपा ने दो जून 1995 को मुलायम सरकार से समर्थन वापसी की घोषणा कर दी। इससे गुस्साए सपा कार्यकर्ताओं व नेताओं ने राज्य अतिथि गृह, जहां कांशीराम और मायावती रुके थे, पर हमला कर दिया।

बताया तो यंहा तक जाता है कि भाजपा के तत्कालीन नेता दिवंगत ब्रह्मदत्त द्विवेदी अगर अपने समर्थकों के साथ वहां नहीं पहुंचते तो कोई अनहोनी हो सकती थी। बहरहाल राज्य अतिथि गृह कांड ने कांशीराम के दलित व पिछड़ों की एकजुटता के सपने को बुरी तरह तोड़ दिया।

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