बिहार, गुजरात ,मुंबई, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के कई जिले बाढ़ या फिर जलभराव से त्रस्त है। बिहार में लगभग हर साल बाढ़ आती है। नेपाल से सटे सीमावर्ती जिलों में हाहाकार मचा हुआ है। पिछले साल भी राज्य में बाढ़ आयी थी। हालांकि, असर उतना ज्यदा नहीं था। पर उससे एक साल पहले यानी साल 2017 में बाढ़ ने पुरे उत्तर भारत में भीषण तबाही मचाई थी। जंहा गुजरात के हालात बाढ़ के वजह से ठीक नहीं है। मुंबई भी पानी से डूबी है। हालत इतने बत्तर थे कि ट्रेन बाढ़ में फंस गई थी, और लोगो को बचाने के लिए स्पेशल ऑपरेशन चलाना पड़ा था।
भारत सरकार के आकड़ों पर आधारित विश्व बैंक के एक अध्यन में आदेश जताया गया है कि 2040 तक देश के ढाई करोड़ लोग भीषण बाढ़ की चपेट में होंगे। बताया जा रहा है भविष्य में आने वाले दिनों में बाढ़ प्रभावित आबादी में यह छह गुना उछाल होगा। यह जानकारी केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक दी गई कि 1953 से 2017 की 64 साल की अवधि में अतिवृष्टि और बाढ़ से देश में कुल 107,487 मौते हुई है।
इसमें फसल,मकान और सार्वजानिक सेवाओं को तीन लाख 65 हज़ार 860 करोड़ रूपये का नुक्सान हुआ है। छोटी अवधि में हाई इंटेसिटी बारिश, जलनिकास की जर्जर क्षमता, जलाशयों के रखराव में कमी और जलसंग्रह की लचर स्थिति और बाढ़ निंयत्रण उपायों की नाकामी को भारी बाढ़ और उससे होने वाले व्यापक नुक्सान के कारणों को बताया गया है। यह चेतावनी है कि मानव को अब प्रकर्ति के प्रति सजग हो जाना चाहिए वरना वो दिन दूर नहीं जंहा अकाल भुखमरी जैसी भयानक स्थति से बचने के लिए कोई रास्ता ही न बचे।
WRITTEN BY – RISHU TOMAR