हिन्दू धर्म में गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्त्व होता है। हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार गुरु पूर्णिमा हर साल जुलाई महीने में आती है। इस बार भी गुरु पूर्णिमा 16 जुलाई को है। हिंदू धर्म में गुरु को ही सर्वश्रेठ स्थान दिया जाता है। गुरु को भगवान् के स्थान से भी सर्वोपरि माना जाता है। ऐसा माना जाता है व्यक्ति के जीवन को आदर्श बनाने की अहम् भूमिका गुरु की होती है। क्योकि वो गुरु ही है जो हमें अज्ञानता से उबारकर सही मार्ग की ओर ले जाते है। यही वजह है कि देशभर में गुरु पूर्णिमा का उत्सव घूमधाम से मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन आदिगुरु महाभारत के रचियता और चार वेदो के व्याख्याता महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। वे संस्कृत के महान विद्वान थे। महाभारत जैसा महाकाव्य उन्ही की देन है। महाभारत के 18 वे अध्याय में भगवान् श्री कृष्ण गीता का उपदेश देते है। सभी 18 पुराणों के रचियता भी महर्षि वेद व्यास ही है। कहते है कि वेदो को विभाजित करने का श्रेय भी इन्ही को दिया जाता है। यही कारण इनका नाम वेदव्यास पढ़ा था। वेदव्यास जी को आदिगुरु भी कहा जाता है। इसलिए गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है।
गुरु का महत्व।
गुरु का होना जीवन में उतना ही महत्त्व रखता है जितना माता पिता का होना, माता पिता के कारण इस संसार में हमारा अस्तित्व होता है। लेकिन सद्गुरु ही व्यक्ति के ज्ञान और अनुशासन का ऐसा महत्त्व सिखाता है, जिससे व्यक्ति अपने सद्कर्मो और सदाचारों से जीवन के साथ साथ मृत्यु के बाद भी अमर हो जाता है। गुरु का महत्त्व किसी सदाचारी गुरु ढूंढ लेना ही नहीं बल्कि सदाचार आदर्शो को अपने जीवन के लिए अपनाना है। हमारा सबसे बड़ा गुरु हमारी पवित्र आत्मा है।
अपनी इच्छाओं को नियत्रण कर लेना ही जीवन का सार है। हर निश्चित वस्तु या समय का अपना एक केन्द्रविन्दु होता ही है और उस पर जीवन का ओर और छोर समाप्त हो जाता है। हमारे जीवन का केंद्र बिंदु ही शरीर की आत्मा है जिसे अपना सच्चा गुरु मान सकते है। मनुष्य का जीवन ईश्वर की दैवीय शक्ति का वरदान है। आदर्श, दया, भावना, सदाचार सदगुण, ही जीवनका मूल्य आधार है, इन्हे पहचान लेना ही गुरु को ढूंढ लेना है यही है सच्चा अध्यात्म, आज की गुरु पूर्णिमा उन सभी महान संत आत्मा को समर्पित जिन्होंने समाज को आदर्श और अध्यात्म को पवित्र बनाये रखा। सभी मनुष्य का जीवन आदर्श संस्कार सदाचार और दुनिया के प्रति नेकी के एक सूत्र में बंधा रहे। इसी के साथ आप सभी को गुरु पूर्णिमा की अंनत शुभकामनाएँ।