Details of a loss to railways from farmer movement
किसान आंदोलन की वजह से रेलवे को लगभग 2550 करोड़ रुपये का नुकसान आंका गया है । बताया जा रहा है की पिछले साल 24 सितंबर से करीब 650 मालगाड़ियां और 325 पैसेंजर ट्रेनें काफी समय तक बंद रही थीं। ऐसा लग रहा है किसानों ने पंजाब में बिछी रेल पटरियों पर कई जगहों पर धरना देकर पंजाब, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर के बीच दौड़ने वाली सभी ट्रेनों को रद कर दिया था।
करतारपुर डिवीजन में लंबे समय तक लोडिंग प्वाइंट , ब्यास, भगतां वाला, कपूरथला, सुल्तानपुर, मक्खू, नकोदर, शाहकोट, मलसियां, मोगा, फगवाड़ा, नवां शहर व टांडा रद पड़े रहे। 22 अक्तूबर 2020 में जब डिवीजन में लगभग चालीस मालगाड़ियां चलाने की अनुमति मिली तो भारतीय रेल डिवीजन फिरोजपुर ने पैसेंजर ट्रेनों से होने वाले नुकसान की भरपाई को पूरा करने का प्रयास किया। बताया जा रहा है की मालगाड़ियों से डिवीजन के अकेले लुधियाना से लगभग 65 करोड़ रुपये की कमाई हुई है। लुधियाना में हौजरी की फैक्ट्रियां हैं।
यह भी पढ़ें: आम आदमी पार्टी ने भी सिद्धू के बयान पर चिंता जतायी
यह भी पढ़ें: किसान संघर्ष के दौरान शहीद हुए 700 आंदोलनकारी किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की मांग
यह भी पढ़ें: मुख्यमंत्री योगी का दो दिवसीय दौरा
यह भी पढ़ें: दाने-दाने को मोहताज परिवार ने की आत्महत्या
यह भी पढ़ें: 200 रुपये का पेट्रोल भरवाया.. टंकी में पहुंचा सिर्फ 90 रुपये का,
पंजाब में कोयले की कमी के चलते बिजली उत्पादन कम होने और खानपान की वस्तुएं के दाम आसमान छूने पर किसान जत्थेबंदियां पैसेंजर ट्रेनों के बजाय मालगाड़ियां चलाने पर राजी हुई थीं। अमृतसर औरब्यास के बीच पड़ने वाले जंडियाला गुरु रेलवे स्टेशन के नजदीक किसानों ने 163 दिन तक रेल यातायात ठप रखा था। वहीं केंद्र सरकार मालगाड़ियों के संग पैसेंजर ट्रेनें चलाने पर अड़ी रही। जब किसानों ने कुछेक ट्रेनें चलाने की अनुमति दी तो रेल मंत्रालय ने मालगाड़ियां भी चलाईं थीं।
किसान आंदोलन के दौरान ही लॉकडाउन लग गया। पैसेंजर ट्रेनें रद्द होने के कारण रेलवे को तकरीबन 60 लाख रुपये रिफंड यात्रियों को देना पड़ा था। रेल डिवीजन फिरोजपुर के एडीआरएम रैंक के एक अधिकारी ने बताया कि किसान जत्थेबंदियों के रेल रोको आंदोलन से 2550 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान होने का अनुमान है। ब्यास-अमृतसर सेक्शन पर किसानों का लंबे समय तक आंदोलन चला। इस सेक्शन से कोई भी ट्रेन नहीं गुजरती थी। तरनतारन होकर ट्रेन को अपने निर्धारित स्टेशन तक पहुंचाया जाता था।