भाजपा नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 22 जनवरी के बाद उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार के लिए उतर सकते हैं।बताया जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में अपनी तैयारियों को धार देने के लिए भाजपा अगले हफ्ते से ही अमित शाह को मैदान में उतार देना चाहती है।
आपको बता दें कि अगले हफ्ते से अमित शाह पार्टी की चुनावी रणनीतियां तय करने के लिए कई बैठकों में हिस्सा लेंगे।वहीं अमित शाह का यह प्रचार उस ही दिन से शुरू होना है,जब चुनाव आयोग सार्वजनिक रैली और रोड शो को लेकर फैसला करेगा।लेकिन ईसी आगे भी डिजिटल तरह से चुनाव प्रचार की मंजूरी देता है तो शाह को पार्टी के डिजिटल आयोजनों में हिस्सा लेना होगा, लेकिन अगर चुनाव आयोग प्रचार पर लगे प्रतिबंधों को हटा देता है,तो इससे भाजपा के पूर्व अध्यक्ष को जनता के बीच जाने का मौका मिलेगा।
फिलहाल भारतीय जनता पार्टी पांचों राज्यों में अपनी सरकार बनाने के लिए सही उम्मीदवारों का भी चुनाव करने में जुटी हुई है।इस दौरान अमित शाह की यूपी में मौजूदगी पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए बड़ा संदेश साबित होगी और वे संगठन के नेताओं के साथ अगले प्रत्याशियों को तय करने में भी अहम भूमिका निभाएंगे।
इस दौरान भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि विधानसभा चुनावों में कई नेता अपने संबंधियों और रिश्तेदारों के लिए भी टिकट की मांग कर रहे हैं। दरहसल भाजपा ने फैसला लिया है कि अगर पार्टी का कोई सदस्य पहले से सांसद या फिर विधायक है,तो उसके परिजनों को टिकट नहीं दिया जाएगा।इस नियम के तहत सिर्फ उन लोगों को छूट मिलेगी,जो की पहले से ही सांसद या विधायक चुने जा चुके हैं।सूत्रों का मानना है कि अगर चुनावी रैली पर प्रतिबंध जारी रहते हैं तो बंद जगहों पर बैठक के रास्ते अभी भी खुले हुए हैं।
गौरतलब है कि नेता स्वामी प्रसाद मौर्य समेत अन्य नेताओं का भाजपा का साथ छोड़कर सपा में शामिल होने के सवाल पर इस नेता ने कहा कि ये नेता खुद को अपनी जाति का नुमांइदा होने का दावा करते हैं और इनके इस्तीफा देने का सबसे प्रमुख कारण यह है कि भाजपा इन समुदायों का भरोसा जीतने में कामयाब रही है।उन्होंने भरोसा जताया कि भाजपा उत्तर प्रदेश में 2017 वाला अपना प्रदर्शन दोहराएगी।आपको बता दें कि पार्टी ने उस समय 300 से अधिक सीट जीती थीं।