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अयोध्या मामला: आखिर क्यों जस्टिस ललित ने खुद को केस से किया अलग…

साथ ही इसके लिए बनाई पांच सदस्यों की संविधान पीठ से जस्टिस यूयू ललित ने खुद को अलग कर लिया है.चर्चा के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा कि बेंच में शामिल जस्टिस यूयू ललित 1994 में कल्याण सिंह की ओर से कोर्ट में पेश हुए थे. हालांकि, इतना कहते ही उन्होंने तुरंत खेद भी जताया.

जिसपर चीफ जस्टिस गोगोई ने उन्हें कहा कि वह खेद क्यों जता रहे हैं. आपने सिर्फ तथ्य को सामने रखा है. इसके बाद यूपी सरकार के हरीश साल्वे ने कहा की उनको यूयू ललित के होने से कोई परेशानी नहीं है, लेकिन इसके बाद जस्टिस ललित ने खुद को इस केस से अलग कर लिया.


क्या था इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला?
हाईकोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने 30 सितंबर, 2010 को 2:1 के बहुमत वाले फैसले में कहा था कि 2.77 एकड़ जमीन को तीनों पक्षों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला में बराबर-बराबर बांट दिया जाए.

इस फैसले को किसी भी पक्ष ने नहीं माना और उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. शीर्ष अदालत ने 9 मई 2011 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट में यह केस पिछले आठ साल से है.

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